एक दिन गिरा दिए जायेंगे,
तुम्हारे धर्मो के मेहराब,
जिसमें आज भी रक्तस्राव करती,
औरतें अछूत, और अपवित्र हैं,
जिसकी मिनारे करती हैं,
ओछी मर्यादा का अट्टहास,
जहां औरत की योनि के नाम मात्र से,
मलिन हो जाते हैं तुम्हारे मंदिरों,
मस्जिदों, गुरुद्वारों की झूठी शुचिता
वो पहली औरत,
जिसके कोख़ से जन्मे बच्चों को,
चार वर्णों में बाट दिया ब्रम्हा ने,
वो पहली औरत,
जिसकी अवज्ञा को हिंसा योग्य,
बताया गया कुरान की आयतों में,
वो पहली औरत,
जो मेरी,तुम्हारी,हम सब की मां है,
इतिहास के कठघरे में खड़ा करेगी,
तुम्हारे ईश्वर और अल्लाह को,
और पूछेगी कि आसमान फटने से,
कैसे आया फरिश्ता,
धरती पर गिरे वीर्य से ,
कैसे पैदा हुआ ईश्वर,
वो जला देगी तुम्हारे ग्रंथों को,
मर्यादा की मीनारों को,
ब्रम्हा के सफ़ेद झूठ को,
फ़िर ना आसमान के फटने से,
पैदा होगा कोई फरिश्ता,
और ना ही धरती पर गिरे वीर्य से,
जन्म लेगा कोई ईश्वर।
@आलोक आज़ाद
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