DHEEर की ✍️से....

DHEEर की ✍️से.... Lives in Rishikesh, Uttarakhand, India

अपने छोटे से जीवन की बड़ी गाथाएँ कैसे कहु, क्या यह अच्छा नहीं , ओरो की सुनू ओर मैं मोन रहू insta id-dheerajbhandari04 - dheeraj_s_bhandari instagram id- Dheeraj s bhandari

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जो मुझे चाहें, उसे मैं न चाहूँ जिसे मैं चाहूँ, वो मुझे न चाहें जिसे वो चाहें, वो किसी और को चाहें किसी की चाह को रब कोई और न चाहें.. ©DHEEर की ✍️से....

#selflove #Quotes  जो मुझे चाहें, उसे मैं न चाहूँ
जिसे मैं चाहूँ, वो मुझे न चाहें
जिसे वो चाहें, वो किसी और को चाहें
किसी की चाह को
 रब कोई और न चाहें..

©DHEEर की ✍️से....

#selflove

11 Love

अलविदा जहाँ भी जाता हु तुम्हें पाता हुँ चलो तुम्हे भूल जाता हुँ काश कुछ यू होता कुछ हुआ ही ना होता मिलती गर तुम कभी तो तुम्हें फ़िर खोता जहाँ भी जाता हु तुम्हें पाता हुँ चलो तुम्हे भूल जाता हुँ ©DHEEर की ✍️से....

#शायरी #lonely  अलविदा

जहाँ भी जाता हु तुम्हें पाता हुँ
चलो तुम्हे भूल जाता हुँ
काश कुछ यू होता 
 कुछ हुआ ही ना होता
मिलती गर तुम कभी तो तुम्हें फ़िर खोता
जहाँ भी जाता हु तुम्हें पाता हुँ
चलो तुम्हे भूल जाता हुँ

©DHEEर की ✍️से....

#lonely

8 Love

ये जो दर्द दिये है खुदा तूने इसका हिसाब होगा तेरा नाम लु , या फिर मजाक होगा? ये आँशु नींद उड़ा देते हैं तु सुला तो दे जहर तो दे दिया है अब फ़ना तो दे... ©DHEEर की ✍️से....

#कविता  ये जो दर्द दिये है खुदा तूने
इसका हिसाब होगा
तेरा नाम लु , 
या फिर मजाक होगा?
ये आँशु नींद उड़ा देते हैं
तु सुला तो दे
जहर तो दे दिया है
अब फ़ना तो दे...

©DHEEर की ✍️से....

😞🥲

8 Love

छात्रावास का वह कोने वाला कमरा धूल से लदी खिड़कियां पंखा जो अपनी दिशा से भटका हुआ है अलमारी खाली जो शोक में है चारपाई नग्न अवस्था में खिड़की जो अभी सही स्थिति में है जब भी खुलती है जरूर बोल उठती है.. छात्रावास का वह कोने वाला कमरा खिड़की के उस पार हां थोड़ी हरियाली जरूर है जो उम्मीद जगाए बैठी है खिड़की से अंदर आने वाली हवा ऑक्सीजन दें या ना दे सुकून जरूर देती है कमरे की एक दीवार पर चित्रकारी की एक अमूर्त विरासत है जरूर उब गया होगा छात्र जब इन दीवारों से तब परिवर्तन का बीज फूटा होगा ताकि एक उम्मीद की नई किरण जगे खो ना जाए किसी के सपने उस अंधेरे में थोड़ी हलचल हो हर शाम एक नई सुबह में बदलें.. छात्रावास का वह कोने वाला कमरा आज उसी कोने पर रह गया है चल पड़ा हूं मैं अपने सपनों को ऊंची उड़ान देने उस अंधेरे को चीर तूफानों से लड़ने खुद को खुद से मिलाने चल पड़ा हूं मैं... चल पड़ा हूं मैं... ©DHEEर की ✍️से....

 छात्रावास का वह कोने वाला कमरा
धूल से लदी खिड़कियां
पंखा जो अपनी दिशा से भटका हुआ है
अलमारी खाली जो शोक में है
चारपाई नग्न अवस्था में 
खिड़की जो अभी सही स्थिति में है
 जब भी खुलती है
 जरूर बोल उठती है..
 छात्रावास का वह कोने वाला कमरा
 खिड़की के उस पार 
 हां थोड़ी हरियाली जरूर है
 जो उम्मीद जगाए बैठी है
 खिड़की से अंदर आने वाली हवा
 ऑक्सीजन दें या ना दे
 सुकून जरूर देती है
 कमरे की एक दीवार पर
 चित्रकारी की एक अमूर्त विरासत है
 जरूर उब गया होगा छात्र जब इन दीवारों से
 तब परिवर्तन का बीज फूटा होगा
 ताकि एक उम्मीद की नई किरण जगे 
 खो ना जाए किसी के सपने उस अंधेरे में
 थोड़ी हलचल हो
 हर शाम एक नई सुबह में बदलें..
 छात्रावास का वह कोने वाला कमरा
 आज उसी कोने पर रह गया है
 चल पड़ा हूं मैं
 अपने सपनों को ऊंची उड़ान देने
 उस अंधेरे को चीर
 तूफानों से लड़ने
 खुद को खुद से मिलाने
 चल पड़ा हूं मैं...
 चल पड़ा हूं मैं...

©DHEEर की ✍️से....

छात्रावास का वह कोने वाला कमरा...😊

9 Love

सफर छोटा ही सही हसीन होना चाहिए तुम कहीं भी रहो महफूज होने चाहिए.. चांद की चाह तो सबको है बस फर्क इतना है रखने की तहज़ीब होनी चाहिए...। ©DHEEर की ✍️से....

#शायरी #safarnama  सफर छोटा ही सही 
हसीन होना चाहिए
तुम कहीं भी रहो
महफूज होने चाहिए..
चांद की चाह तो सबको है
बस फर्क इतना है
रखने की तहज़ीब होनी चाहिए...।

©DHEEर की ✍️से....

#safarnama

9 Love

सवाल ? बालकनी की कुर्सी पर मैं अपनी किताब लिए बैठा हूं एक कलम के साथ मैं कुछ विचार लिए बैठा हूं रुई जैसे यह सफेद बादल शंका में है मैं किस बात का विलाप लिए बैठा हूं ये समीर चुप से स्पर्श करके पूछती है मुझसे कि मैं चिंता में क्यों हूं कि मैं किसका हिसाब लिए बैठा हूं जैसे आंगन में खेलते हुए बच्चों की सोर भरी आवाजें जोर जोर से पूछ रही है मुझे कि मैं क्यों उदास बैठा है ये ढलती शाम का धुंधलापन बीते हुए अतीत का गहरापन कि मैं अब क्यों अवसाद में बैठा हूं पूछता रहता है मुझसे कि मैं क्यों अब हताश बैठा हूं 'धीर' की कलम धीर से सवाल भला कैसे ना करें मैं किस तनाव में बैठा हूं कि मैं किस जवाब में बैठा हूं... कि मैं किसके इंतजार में बैठा हूं...? ©DHEEर की ✍️से....

 सवाल ?

बालकनी की कुर्सी पर 
मैं अपनी किताब लिए बैठा हूं
एक कलम के साथ
मैं कुछ विचार लिए बैठा हूं
रुई जैसे यह सफेद बादल शंका में है
मैं किस बात का विलाप लिए बैठा हूं

ये समीर चुप से स्पर्श करके पूछती है मुझसे
कि मैं चिंता में क्यों हूं
कि मैं किसका हिसाब लिए बैठा हूं
जैसे आंगन में खेलते हुए बच्चों की सोर भरी आवाजें
जोर जोर से पूछ रही है मुझे
कि मैं क्यों उदास बैठा है

ये ढलती शाम का धुंधलापन 
 बीते हुए अतीत का गहरापन
कि मैं अब क्यों अवसाद में बैठा हूं
पूछता रहता है मुझसे
कि मैं क्यों अब हताश बैठा हूं

'धीर' की कलम धीर से 
सवाल भला कैसे ना करें
 मैं किस तनाव में बैठा हूं
कि मैं किस जवाब में बैठा हूं...
कि मैं किसके इंतजार में बैठा हूं...?

©DHEEर की ✍️से....

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8 Love

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