White कुछ अच्छा नहीं लगता, ना जानें क्या हुआ, ज़िया को,,
अच्छा हुआ, बुरा हुआ, पता नहीं, ज़िया को,,
सब पास-पास होकर भी दूर लग रहें हैं,
कोई पास आकर, दूर क्या कर गया, ज़िया को,,
मुझे तो श़ेरों-शायरी का शौक ही था, बस...
कोई ज़हन में उतरा, और शायर कर गया, ज़िया को,,
गुजर जो जाएं दिन बुरें, हमारी जिंदगी से भी,
मैं पूछ लूं, कि क्यों सभी ने भर दिया, ज़िया को,,
मुझे तो अपने हाल पर ही अफ़सोस है मुकम्मल,
था ऐसा नहीं, मैंने बहुत बदल दिया, ज़िया को,,
©unknown
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