Rabindra Kumar Ram

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I love writing poetry , sayari , gazal , lyrics , singing etc..

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" जाने किसकी अज़िय्यत में हूं आखिर क्यों उसके तमाम हसरतों का मक़बूलियत हैं क्यों " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#मक़बूलियत #अज़िय्यत #हसरतों #शायरी #तमाम  " जाने किसकी अज़िय्यत में हूं आखिर क्यों 
उसके तमाम हसरतों का मक़बूलियत हैं क्यों "

                    --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

" जाने किसकी अज़िय्यत में हूं आखिर क्यों उसके तमाम हसरतों का मक़बूलियत हैं क्यों " --- रबिन्द्र राम #अज़िय्यत -( परेशानी) #तमाम #हसरतों #मक़बूलियत - (स्वीकृत)

12 Love

" खुद को अब किस तरफ ना मसरुफ़ रखा जाये , मुहब्बत तु हैं तो‌ तुझसे फिर किस‌ कदर ना मा'रूफ़ रखा जाये , बज़्मेनाज़ से मैं तुमसे मिलता ही रहता हूं , कमबख़्त इस दिल को कहीं तसली भी नहीं मिल रहा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#बज़्मेनाज़ #मुहब्बत #मसरुफ़ #शायरी #तसली  " खुद को अब किस तरफ ना मसरुफ़ रखा जाये ,
मुहब्बत तु हैं तो‌ तुझसे फिर किस‌ कदर ना मा'रूफ़ रखा जाये ,
बज़्मेनाज़ से मैं तुमसे मिलता ही रहता हूं ,
कमबख़्त इस दिल को कहीं तसली भी नहीं मिल रहा . " 

                            --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

" खुद को अब किस तरफ ना मसरुफ़ रखा जाये , मुहब्बत तु हैं तो‌ तुझसे फिर किस‌ कदर ना मा'रूफ़ रखा जाये , बज़्मेनाज़ से मैं तुमसे मिलता ही रहता हूं , कमबख़्त इस दिल को कहीं तसली भी नहीं मिल रहा . " --- रबिन्द्र राम #मसरुफ़ #मुहब्बत #मा'रूफ़ ( जान-पहचान)

14 Love

" हसरतों का अब कौन सा मुकाम बनाते हम , दहलीज़ों पे तेरे होने का कुछ यकीनन यकीन आये , रुठे - रुठे से जऱा मायूस हो चले अब हम , बेशक उसके ज़र्फ़ में इसी शिद्दत से भी हमें भी आजमायें जाये ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#दहलीज़ों #आजमायें #हसरतों #ज़र्फ़ #शायरी  " हसरतों का अब कौन सा मुकाम बनाते हम ,
दहलीज़ों पे तेरे होने का कुछ यकीनन यकीन आये ,
रुठे - रुठे से जऱा मायूस हो चले अब हम ,
बेशक उसके ज़र्फ़ में इसी शिद्दत से भी हमें भी आजमायें जाये ." 

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

" हसरतों का अब कौन सा मुकाम बनाते हम , दहलीज़ों पे तेरे होने का कुछ यकीनन यकीन आये , रुठे - रुठे से जऱा मायूस हो चले अब हम , बेशक उसके ज़र्फ़ में इसी शिद्दत से भी हमें भी आजमायें जाये ." --- रबिन्द्र राम #हसरतों #दहलीज़ों #ज़र्फ़ #आजमायें

11 Love

" ‌‌इस उम्मीद में कहीं मुलाकात तो हाेगी , जद्दोजहद में इन रातों फिर का क्या करना , मुसलसल एहसासों को तबजओ दे तो आखिर क्या , सुलगती हिज़्र के रातों का फिर क्या करना , नुमाइश मुम्किन तो फिर कहीं बात छेड़े हम , वस्ल की गुज़ारिश में तेरे एल्म का फिर क्या करना ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#शायरी  " ‌‌इस उम्मीद में कहीं मुलाकात तो हाेगी ,
जद्दोजहद में इन रातों फिर का क्या करना ,
मुसलसल एहसासों को तबजओ दे तो आखिर क्या ,
सुलगती हिज़्र के रातों का फिर क्या करना ,
नुमाइश मुम्किन तो फिर कहीं बात छेड़े हम ,
वस्ल की गुज़ारिश में तेरे एल्म का फिर क्या करना ." 

                             --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

" ‌‌इस उम्मीद में कहीं मुलाकात तो हाेगी , जद्दोजहद में इन रातों फिर का क्या करना , मुसलसल एहसासों को तबजओ दे तो आखिर क्या , सुलगती हिज़्र के रातों का फिर क्या करना , नुमाइश मुम्किन तो फिर कहीं बात छेड़े हम , वस्ल की गुज़ारिश में तेरे एल्म का फिर क्या करना ." --- रबिन्द्र राम

17 Love

" मुख्तलिफ बात थी हम तुझे इशारा क्या करते , तेरे साथ चलना था मुझे तुझसे किनारा क्या करते , ज़ेहन में आते - जाते महज तेरी बातें ही नागवार थी , फिर तुझसे से तेरे होकर और तुझसे बिछड़ के तेरे हिज़्र में गुजारा क्या करते . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#मुख्तलिफ #हिज़्र #गुजारा #नागवार #शायरी #इशारा  " मुख्तलिफ बात थी हम तुझे इशारा क्या करते ,
तेरे साथ चलना था मुझे तुझसे किनारा क्या करते ,
ज़ेहन में आते - जाते महज तेरी बातें ही नागवार थी ,
फिर तुझसे से तेरे होकर और तुझसे बिछड़ के तेरे हिज़्र में गुजारा क्या करते . " 

                            --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

" मुख्तलिफ बात थी हम तुझे इशारा क्या करते , तेरे साथ चलना था मुझे तुझसे किनारा क्या करते , ज़ेहन में आते - जाते महज तेरी बातें ही नागवार थी , फिर तुझसे से तेरे होकर और तुझसे बिछड़ के तेरे हिज़्र में गुजारा क्या करते . " --- रबिन्द्र राम #मुख्तलिफ #इशारा #ज़ेहन #नागवार #हिज़्र #गुजारा

13 Love

यूं हासिल होने को हम भी हो जाये , हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . " ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रमाओ . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#मुहब्बत #ख़सारे #फ़रमाओ #शायरी #इल्म #ग़ैर  यूं हासिल होने को हम भी हो जाये ,
हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . "
ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , 
तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रमाओ . "

                       --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

यूं हासिल होने को हम भी हो जाये , हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . " ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रमाओ . " --- रबिन्द्र राम #मुहब्बत #इल्म #ग़ैर #फ़रमाओ

18 Love

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