अपने विचार या भावनाओं
को व्यक्त करने का,
सबसे अच्छा तरीका ये है कि
आप स्वयं को पुरुष या स्त्री
मानने से पहले इंसान माने!
क्योंकि इस समाज ने
पहले से ही स्त्री - पुरुष की,
समझ और भावनाओं को
तय कर रखा है।
इंसान होने के नाते
आपके विचार या भावनाएं
पूर्ण रूप से असीमित है!
जबकि स्त्री पुरुष
होने के नाते सीमित है।
-Anshu Sahani
समाज में,
भेदभाव के ख़िलाफ़!
चुप रहने वाला
गुट भी,
उतना ही गुनेहगार
होता है,
जितना कि भेदभाव
करने वाला गुट,
और ये
दोनों ही गुट,
प्रगतिशील समाज के लिए
हानिकारक हैं,
तथा इन्हें वक्त रहते
दंडित किया जाना
अनिवार्य है।
-Anshu Sahani
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