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"कुछ जज्बात समेटे हैं दिल में, कुछ फरियाद लगा आये हैं मंदिर-मस्जिद में, संजोये तो सपनों सी बारात हैं घर के आशियाने में, लेकिन बूढ़े माँ बाप छोड़ आये हैं पुराने घर-आँगन में ...बूढ़े माँ बाप छोड़ आये हैं पुराने घर आँगन में। चराग करता क्यूँ नहीं हैं रौशन.
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