✍ मै झुकता हूँ, क्योंकि मुझे
रिश्ते निभाने का शौक है...; वरना
गलत तो हम कल भी
नहीं थे और आज भी नहीं हैं...
मैं अपने गम में रहता हूँ, नबाबों की तरह..!
परायी खुशियों के पास जाना मेरी आदत नहीं...!
सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मैं
किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नहीं..,
बाँटना चाहता हूँ, तो बस
प्यार और मोहब्बत..., यूँ नफरत फैलाना मेरी
आदत नहीं...!!
जिंदगी मिट जाए, किसी के खातिर गम नहीं,
कोई बद् दुआ दे मरने की
यूँ जीना मेरी आदत नहीं...! दोस्ती होती है, दिलों से चाहने पर
जबरदस्ती दोस्ती करना, मेरी आदत नहीं..! नाम छोटा है मगर,
दिल बड़ा रखता हूँ...,
पैसों से उतना अमीर नहीं हूँ मगर अपने यारों के गम. खरीदने की हैसियत रखता हूँ।
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