Awasthi Vinit Kumar

Awasthi Vinit Kumar Lives in Rampur, Uttar Pradesh, India

कोई साथ न दे मेरा,चलना मुझे आता है।

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आदि से अनन्त तक हिंदी निर्मल से ज्वलन्त तक हिंदी आन बान शान से स्वाभिमान तक हिंदी राष्ट्र के शाश्वत अभिमान तक हिंदी। हिंदी,हिन्दू,से हिंदुस्तान तक हिंदी। ©Awasthi Vinit Kumar

#Hindidiwas  आदि से अनन्त तक हिंदी
निर्मल से ज्वलन्त तक हिंदी
आन बान शान से स्वाभिमान तक हिंदी
राष्ट्र के शाश्वत अभिमान तक हिंदी।
हिंदी,हिन्दू,से हिंदुस्तान तक हिंदी।

©Awasthi Vinit Kumar

#Hindidiwas

14 Love

गर्दिशों का दौर है जनाब एक दिन निकल ही जाएगा उम्मीद भरी लौ जलाए रखना मुसीबतों के समंदर में। नाउम्मीदी की बर्फ समेटे ये दरिया भी पिघल जाएगा, कल गिरा था आज गिरा है कल शायद फिर गिरेगा भरोसे की कश्ती तैयार रख हर तूफान में सम्भल जाएगा। ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar

#कविता #self_motivated  गर्दिशों का दौर है जनाब एक दिन निकल ही जाएगा
उम्मीद भरी लौ जलाए रखना मुसीबतों के समंदर में।
नाउम्मीदी की बर्फ समेटे ये दरिया भी पिघल जाएगा,
कल गिरा था आज गिरा है कल शायद फिर गिरेगा
भरोसे की कश्ती तैयार रख हर तूफान में सम्भल जाएगा।
✍️Vनीत

©Awasthi Vinit Kumar

गर्दिशों का दौर है जनाब निकल ही जाएगा। उम्मीद लौ जलाए रखना मुसीबत के समंदर में, नाउम्मीदी की बर्फ का दरिया भी पिघल जाएगा कल गिरा है आज गिरा है कल शायद फिर गिरेगा भरोसे की कश्ती ग़र तो तूफ़ान में भी संभल जाएगा ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar

#विचार #Hope  गर्दिशों का दौर है जनाब निकल ही जाएगा।
उम्मीद लौ जलाए रखना मुसीबत के समंदर में,
नाउम्मीदी की बर्फ का दरिया भी पिघल जाएगा
कल गिरा है आज गिरा है कल शायद फिर गिरेगा
भरोसे की कश्ती ग़र तो तूफ़ान में भी संभल जाएगा
       ✍️Vनीत

©Awasthi Vinit Kumar

#Hope

6 Love

मेरी मोहब्बत ने मेरी मोहब्बत को ज़माने भर से छिपा रखा है। अपने मेहंदी वाले हाथ पर एक कोने में मेरा नाम लिखा रखा है।। 💞💞 ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar

#मेहंदी  मेरी मोहब्बत ने मेरी मोहब्बत को ज़माने भर से छिपा रखा है।
अपने मेहंदी वाले हाथ पर एक कोने में मेरा नाम लिखा रखा है।।
💞💞
✍️Vनीत

©Awasthi Vinit Kumar

खुद को मैंने इस हद तक मैंने पहचाना है। शहर का हर आईना मेरे पत्थर का निशाना है। ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar

#Quotes #Mirror  खुद को मैंने इस हद तक मैंने पहचाना है।
शहर का हर आईना मेरे पत्थर का निशाना है।

✍️Vनीत

©Awasthi Vinit Kumar

#Mirror

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जो हमने कह दिया कुछ हंस कर लगाया तुमने उसे अपने दिल पर हजारों बार तुम्हे समझाया,भरोसा फिर भी न दिला पाया, अब कोई भी न कैसा भी अल्फ़ाज़ कहतें है। इसलिए नाराज़ रहते हैं सुनो! तुमसे नाराज़ रहते हैं। ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar

#holdinghands  जो हमने कह दिया कुछ हंस कर
लगाया तुमने उसे अपने दिल पर
हजारों बार तुम्हे समझाया,भरोसा फिर भी न दिला पाया,
अब कोई भी न कैसा भी अल्फ़ाज़ कहतें है।
इसलिए नाराज़ रहते हैं
सुनो! तुमसे नाराज़ रहते हैं।

✍️Vनीत

©Awasthi Vinit Kumar
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