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कोई साथ न दे मेरा,चलना मुझे आता है।
आदि से अनन्त तक हिंदी निर्मल से ज्वलन्त तक हिंदी आन बान शान से स्वाभिमान तक हिंदी राष्ट्र के शाश्वत अभिमान तक हिंदी। हिंदी,हिन्दू,से हिंदुस्तान तक हिंदी। ©Awasthi Vinit Kumar
Awasthi Vinit Kumar
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गर्दिशों का दौर है जनाब एक दिन निकल ही जाएगा उम्मीद भरी लौ जलाए रखना मुसीबतों के समंदर में। नाउम्मीदी की बर्फ समेटे ये दरिया भी पिघल जाएगा, कल गिरा था आज गिरा है कल शायद फिर गिरेगा भरोसे की कश्ती तैयार रख हर तूफान में सम्भल जाएगा। ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar
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गर्दिशों का दौर है जनाब निकल ही जाएगा। उम्मीद लौ जलाए रखना मुसीबत के समंदर में, नाउम्मीदी की बर्फ का दरिया भी पिघल जाएगा कल गिरा है आज गिरा है कल शायद फिर गिरेगा भरोसे की कश्ती ग़र तो तूफ़ान में भी संभल जाएगा ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar
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मेरी मोहब्बत ने मेरी मोहब्बत को ज़माने भर से छिपा रखा है। अपने मेहंदी वाले हाथ पर एक कोने में मेरा नाम लिखा रखा है।। 💞💞 ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar
0 Love
खुद को मैंने इस हद तक मैंने पहचाना है। शहर का हर आईना मेरे पत्थर का निशाना है। ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar
1 Love
जो हमने कह दिया कुछ हंस कर लगाया तुमने उसे अपने दिल पर हजारों बार तुम्हे समझाया,भरोसा फिर भी न दिला पाया, अब कोई भी न कैसा भी अल्फ़ाज़ कहतें है। इसलिए नाराज़ रहते हैं सुनो! तुमसे नाराज़ रहते हैं। ✍️Vनीत ©Awasthi Vinit Kumar
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