"बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ "...
क्या पढ़ जाने मात्र से बेटी बच पाएगी , शस्त्र नहीं जब हाथों में ,क्या खाक सुरक्षा पाएगी ?
सीता हो तुम सीता ही सही ,क्या दुर्गा भी बन पाओगी ?
तुम कोमल सी, नाजुक सी,श्रृंगार रूप पति पावन सी..क्या रौद्र रूप धारण कर शत्रु संहार कर पाओगी ?
ये प्रश्न उठे नारी हृदय में , तब जाकर देश की बेटी बचे , तब तुम कह देना मित्रो मेरी बेटी पढ़े, मेरी बेटी बचे।
©Lõkêsh
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