मैं ना बहुत छोटी छोटी बातों में खुश हो जाती हु
ज़रा सी बेरूख़ी,नजरअंदाजगी,बेगानापन और तल्खी
अंदर से झिंझोड़ देती हैं मुझे
शायद इसलिए भी, मैं सब के साथ
हस,मुस्करा तो सकती हु,मुझे आता नहीं गुरुर में ऐंठे रहना
लेकिन इक दीवार बना रखी है मैने आस पास अपने
जहां कोई झरोखें,कोई खिड़की,कोई बारी,कोई दहलीज नहीं रखी है
मैं चाहती ही नहीं कि कोई झाक कर देखे और अलग हो जाए
अब कभी कोई आए तो फांद कर आए कभी वापिस ना जाने के लिए
वरना मुस्कराहट ओढ़े ये ज़िंदगी कहकहो में यू भी गुजर रही तो हैं
नहीं चाहती कि अब कह कर बताना पड़े किसी को कुछ
बस ख्वाइश हैं, के कोई हो जो खामोशी पढ़ सके मेरी, लफ्ज़ों में छुपा बेतुका दर्द जिसके सीने में उतर सके
मेरी फीकी सी हंसी के आर पार देखे
कोई हो जिसे फ़िक़्र हो मेरी जिसे मेरे होने न होने से फ़र्क पड़ता हो
मेरा दर्द जिसके चेहरे पे शिकन ले आए
मैं ठीक ना हु तो चैन उसे भी ना आए
कोई हो जो मेरे लिए दुनिया से भिड़ जाए
मैं बिल्कुल पागल लड़की हु
कोई हो जिसका पागलपन मेरे पागलपन में घुल जाए
कोई हो जिसका बाजू थाम कर मै बेफिक्री से चल पडू
कोई हो जो मरहम बन जाए
हो कोई जो दुनिया की तरह घाव नहीं
ज़िंदगी जीने का चाव बन जाए
जो बेशक सादा सा मामूली इंसान हो
पर जिसके साथ मुझे भी एक खास एहसास दे जाए
हो कोई जो मेरी खराशें देख कर दूर न भागे मुझ से
जिसे दुनिया क्या कहेगी से ज्यादा इस बात की फिक्र हो, की ये पागल लड़की अकेली क्यों लड़ेगी
क्योंकि दुनिया तो दुनिया हैं,कुछ तो कहेगी ज़रूर
कोई हो जो मुझसे बातें करे,जिसकी सुबह,शाम,ज़िंदगी मेरे बिना मुमकिन न हो
क्योंकि
मेरा इश्क़ ये सब करना और देना जानता है
तो मैं भी इस सब के ज़रा काबिल हु,दिल ये भी मानता है
मैं रंग,रोशनी,चमक,राहत,चाहत सब कुछ भर देना जानती हु
पर कोई एहसास दिला सके मुझे भी
वो भी मेरा हैं,यू नहीं है के सिर्फ मै ही उसे अपना मानती हु
इस तरह इतनी उम्मीदें पाल लेना सही है या नहीं पता नहीं
लेकिन
कोई मिले कभी तो ऐसा हो वरना ज़िंदगी
यू ही बेहतर है
ज़िंदगी बेहद खूबसूरत है,और मैं खुशी खुशी
एक लंबी मुस्कराहट लिए दुनिया को विदा कहना चाहती हु
कोई हो जो मेरी आंखों में ख्वाब की तरह उतर जाए
नहीं ऐसा न हो कोई जिसके सामने मेरी मासूमियत घुट के मर जाए
मैं सुर्ख रंग हु,स्याह भी ही
मैं किसी थके हारे मुसाफ़िर की पनाह भी हु
मुझे भी तो एहसास हो
बेबाक
मैं किसी की चाह भी हु
तो कोई हो जो खोखली मोहब्बत नहीं
इश्क़ करना जानता हो
कोई हो जो ये सब पढ़ना,समझना और महसूस करना जानता हो
बस इतनी सी ख्वाइश हैं,ज़िंदगी.....
©ashita pandey बेबाक़
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