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Modern Poet ❤
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गुजरता वक्त राहों से पता नहीं पूछता मंजिलों को वह खुद बनाए चलता है गुफ्तगू करता मुश्किलों से वह खुद राहों में मुश्किलें बनाएं चलता है जिस के नक्शों पर अनेकों बाधाएं बाहें फैलाए खड़ी रहती हैं चुनौतियों का दीदार किए वह खुद जश्नों के घर बनाए चलता है तय करना अनुभवों के अनुसरणों के खोजों पर चलना क्योंकि बड़ा जिद्दी है ये वक्त कमजोर खड़े दरख़्तो को ढहाए चलता है ©Yãsh BøRâ
Yãsh BøRâ
9 Love
कितने दिन और जीना होगा उम्मीदों के सिरहाने सर छुपाए बेचैनियों की शानो में गुस्ताखीयों के सर टिकाए दूर दूर तक नजर नहीं आते आने वाले डर था कि कहीं आ ना जाए चाहतों ने डर के विकल्प को थामे रखा या यूं कहूं की स्थिरता को जाने दिया ठीक उसी तरह जिस तरह मुसाफिर जाते हैं अनजान राहों को अजनबीयों की राह ताके बेनाम खोजों पर ©Yãsh BøRâ
10 Love
कितना शांत होता है ना अंधेरा समीप अपने गहरे राज़ छुपाए रहता भी उन खंडहरों में है रोशनियों की जहा आंच ना आए शांत शीतल स्वभाव उसका,भला डर कैसा जागो अपने आप में तोह अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है फिर अंधेरों का दोष कैसा? क्या उजालों की कीमत होती अंधेरा ही ना होता जब क्या शामें मस्तानी होती अंधेरा ही ना होता जब क्या राते दीवानी होती अंधेरा ही ना होता जब पूछो सवाल खुदसे तोह क्या कुछ बयां नहीं होता कभी खामोशियां ही बोल जाती है जवाब हम से बया ना होता ©Yãsh BøRâ
सिमट कर रहे यादों में तुम्हारी सालों से हकीक़त जो इक रोज बहा के ले चली साथ अपने तोह जिंदगी का आशय समझ आया बनती रही राहों में कटपुतलिया बंधनों की अनेकों नजाने लड़ते रहे अनगिनत ख्वाहिशों के लिए जीवन कटा अच्छा बुरा उम्र जो बीती इक वक्त तोह जीने का आशय समझ आया ©Yãsh BøRâ
11 Love
अफसोस होता है कई दफा मुझे खुद पर मैं बैठता हूं रोने रातों में देखते ही देखते ये अफसोस मेरा हिम्मत में बदल जाता है मैं पाता हूं खोया हुआ खुद को,वक्त में किसी रेत सा वो वक्त मेरे हाथों से फिसल जाता है और आखिर में बचती है आखों के तले की वो टेहरी नमी मुझे एहसास होता है वक्त गुजर चुका अच्छा या बुरा मालूम नही वक्त है वो तो यूं ही गुजर जाता है और इस तरह वो क्रम मुझे फिर एक बार दोहराता है ©Yãsh BøRâ
जिन नज़रों से चाहा था तुझे उन राहों में इश्क़ के सिवा कुछ और दिखा ही ना था बैठे रहे हम भी इंतजार के उन पलों में कमबख्त मुक़द्दर में जो कभी लिखा ही ना था ©Yãsh BøRâ
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