एकांत में दार्शनिक!(shiv)

एकांत में दार्शनिक!(shiv)

निरंकार है तू साकार है तू । कण कण में अविनास है तू जगत तेरी माया है हर क्षण तेरा साया है तुझे जो जाना तुझे मिला नही तो भटक रहा हर युग वो जय शिव शंकर नमामि हर हर महा देव।

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