क्या कभी एहसास किया है
एक अकेलेपन के डर को?
हो जब भीड़ मे एकदम शांत शोर से,
हो न जब कोई तव्वजो देने वाला
काबिल होकर भी हारा महसूस होना
क्या कभी एहसास किया है ?
वो खुद से ही हार जाना खुद की शर्तों पर।।।
वो मुह मोड लेना अपनों के द्वारा
वो अपनों के बीच होकर अपनो का न होना
क्या कभी एहसास किया है एक अकेलेपन के डर को
सबका अपना होना पर किसी का अपना न होना।।
और वो घुट घुट कर बिखर जाना और टूट जाना।।
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