की कितना हसीन होता ये सफर अगर तुम भी कभी मुझसे प्यार कर पाते
इस जमाने से दूर कहीं हम चन्द पल तन्हाईयो के चुरा लाते
जहां मिट जाती सारी दूरियां और मैं और तुम एक हो जाते
ना होती कोई बंदिशे बस मैं तुममें और तुम मुझमें खो जाते
जहां मेरे प्यार को अपना कर मेरा हाथ थामने को तुम भी हाथ बढ़ाते
सिर्फ तुम और मैं दो जिस्म और एक जान केहलाते
हमारी नज़रे एक दूसरे पे ठहर से जाते
लबों पे ख़ामोशी होती पर हम एक दूसरे का हाल-ए-दिल समझ पाते
की कितना हसीन होता ये सफ़र अगर तुम भी कभी मुझसे प्यार कर पाते
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