तेरी तारीफ मुझे कहीं पंख ना बना दे ?
इस तरह महका मुझे खुशबू बना दे,
तेरी तरह सादगी लिए हुए हैं मेरी अदना सी ख्वाहिश पढ़ दुआ मेरे लिए बुलंद बना दे ,
रोजमर्रा की कारगुजारी के खोटे सिक्के हम ,
पारस की तरह छू हमें अनमोल बना दे ,
जुस्तजू आंखों में लिए भटक रहे हम ,
कर इन्हें पूरा मुझे रिहाई दिला दे ,
आखरी सफर पर चल पड़े "कमल "कबूल कर अलविदा रुखसती करा दे ,
(चंद साॅसे )
स्वरचित् ✍🏻कमल गर्ग
कैद थे रिवाजों की सल्तनत में हम ,
मुद्दतों बाद मिली रिहाई आजा जश्न कर ले,
गर्दिशों का दौर बड़ा बेरहम ,
आ मिल के दुखों को सम कर ले,
कुछ आप करो कुछ हम कर ले
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