वक्त
वक्त -वक्त की बात है
वक्त से बड़ी कोई बात नही
वक्त के साथ बदल जाते रिश्ते
बदल जाते रिश्ते के वो किस्से
बचपन में कहते जिसे चंदा मामा
जवानी में उसे मेहबूब माना...
वक्त वक्त की बात है
वक्त से बड़ी कोई बात नही
कल तक उड़ रही थी धूल
आज पैरो से चिपक गई
बारिश की चंद बूंदो से
धूल की फितरत ही बदल गई
वक्त वक्त की बात है
कभी तन्हा, कभी महफ़िल
कभी दरिया, कभी साहिल
न रुकी वक्त की गर्दिश
न ज़माना बदला
पेड़ सूखा तो
परिंदो ने ठिकाना बदला
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