my main account @abhidev-arvind semwal प्रकट प्राण के दर्द का , हल है मेरी मधुशाला । जब जब तेरा ध्यान जगा, याद आती है , मधुशाला। कागज़ का एक कमरा है, मैं गम की बनाता हूँ हाला। तरल नहीं है ठोस है, पुस्तक मेरी , मधुशाला। insta- abhidev_thepen 7466962932
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