ना जाने यह तुझसे कैसा नाता है
दिल को सनम तू ही भाता है
चल रही है शहर में हवा नयी नयी सी
हर झोंका तेरा ही पैगाम लाता है
होश नहीं है अब, बेकाबू यह दिल है
इश्क तेरा रूह को बेचैन कर जाता है
नींद उड़ गई है हालात नाशुक्रे हैं
खयालों में अब तू ही तू नजर आता है
आ, आकर छेड़ कोई ग़ज़ल प्रेम की
एक मिसरा इश्क का कहँकशां लगाता है
शब्द भी अब तो उड़े उड़े जाते हैं 'मीता'
बज़्म में बस अब तू ही तू नजर आता है।।
©Poonam Aggarwal'मीता'
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