सुनो, ये कैसी कश्मकश में डाल गए हो,
मुझे इस दरिया से तो निकालते जाओ.
और अब जब जा ही रहे हो तो अपने हांथों से अपनी यांदे मिटाते जाओ,
वो मेरे बिस्तर पर पड़ी तेरी सिलवटें, वो मेरे कमरें में फैली हुए खुशबुएँ, वो तेरी आधी पी हुई सिगरेट, और सीसे में तेरा अख़्स.
वो अपने बदन की खुशबू मेरे बदन से मिटाते जाओ, जा ही रहे हो तो अपने हांथो से अपनी यांदे मिटाते जाओ.
वो तेरी बातें जो मेरी ज़हन में आज भी गूंजती है, वो मेरी राते जो आज भी तुझे ढूंढती है.वो मेरा आफताब जो तेरे होने से जगमग था,वो मेरा दिन जो तेरे दीदार से शुरू होता था. उस हर शख्श को जो तुझसे जुड़ा है,
मुझसे दूर लेते जाओ, और जब जा ही रहे हो तो अपने हांथो से अपनी यांदे मिटाते जाओ.
वो तेरे किये वादे, इरादे, वो किये मुहब्बत के कसमे जो तोड़ते वक्त तुझे इल्म भी नही था कि तूने तोड़ा क्या,
इल्ज़ाम भी क्या और कैसे लगाए तुझपर, तुने तो जानबूझकर किसी के लिए मुझे छोड़ा था.
यूँ तुझे भूलकर आगे बढ़ने का हुनर हममे तो नही,
चलो ये हुनर सिखाते जाओ, चलो अब जा ही रहे हो तो अपने हांथो से अपनी यादे मिटाते जाओ.
मेरा हाँथ थामकर तेरा मुझको दिखाए वो सपने,वो दिन वो लोग सब झूठे थे या आज भी अधूरे है मेरे बिना,
मैं तो जीना चाहता था तेरे साये में रहकर लेकिन कितनी आसानी से कह दिया कि मर नही जाओगी मेरे बिना. चलो अब अपने बिना न मेरे न मरने का फन सिखाते जाओ, चलो अब जा ही रहे हो तो अपने आंतो से अपनी यांदे मिटाती जाओ..
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