मुझसे मत पूछो के क्या कभी मैं उम्मीद खो दूंगा?
मैं उस देश में जन्मा हूं जिसके किस्से शायद हर इंसान को प्रेरित करते होंगे,हर वो इंसान जिसके मन में थोड़ा भी शक आया हो के जीत उसकी होती है जो शक्तिशाली होता है,हर इंसान जिसे डर लगता हो के शायद उसे दबा दिया जाएगा,हर वो इंसान जो ये मानने लगा हो के सत्य पे चलने से कुछ हासिल नहीं होता,ये बस आदर्शवादी बाते है और कुछ नहीं,वो जब इस देश के किस्से सुनता होगा तो शायद उसकी उम्मीद फिर से नया जीवन लेती होगी।
इस देश ने अंग्रेज़ो के बनाए जितने गंदे कानून देखे हैं,जितना अन्न्याय देखा है,शायद किसी देश ने नहीं देखा होगा,इस देश के लोगो को फुट डालो और राज करो की नीति ने जितना लूटा है शायद किसी देश में नहीं लूटा होगा,इस देश को युवाओं को आवाज़ उठाने से जितना रोका गया है शायद किसी देश में नहीं रोका गया होगा।इस देश को कुचला गया, छल से,शक्ति से,हर तरीके अपनाए गए,लेकिन ये देश अडिग रहा,यहां के लोग अडिग रहे,यहां की सोच अडिग रही।
इस देश ने अंग्रेज देखा है,उसकी दमनकारी नीतियां देखी है,उसकी फुट डालो और राज करो की नीति देखी है,उसकी हर आंदोलन को बल से, छल से,हर तरीके से दमन करने की नीति देखी है,तो दूसरी तरफ इस देश ने गांधी देखा है।एक ऐसे इंसान को,या यूं कहिए के एक ऐसे उम्मीद को देखा है जो सत्य और अहिंसा में आपकी आस को ज़िंदा कर सकता है,एक ऐसी आशा देखी है जो हर हार ,हर ज़ुल्म पे आपसे ये कहती है के जब वो जीत गया,इतने क्रूरता के सामने,सिर्फ अपने आदर्शों के बल पे,तो तुम क्यों नहीं जीत सकते।
इसलिए मुझसे कोई भी सवाल करता है,क्या थोड़ी भी उम्मीद खोते हो?तो मेरा जवाब बहुत साफ होता है, मैं जिस देश से हूं,उस देश ने इस पूरे दुनिया को उम्मीद दी है,फिर मैं उम्मीद कैसे खो सकता हूं??
- मेरी कलम से
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