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yourquote.in/krikpsy
Dr. Kritika Joshi (psycwriter)
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Unsplash किताबों मे फूल रखे कहाँ मिलते हैं मोबाइल के ज़माने मे इंतज़ार ए़ इश्क़ कहाँ मिलते हैं ©Dr. Kritika Joshi (psycwriter)
15 Love
Unsplash इश्क़ ओस सा धूप से डर गया मै बेवकूफ शाम मे इसे ढूढंता रहा ©Dr. Kritika Joshi (psycwriter)
16 Love
Unsplash उजाड़ जिस्म रूहें उजाड़ बैठी है ज़र्रे ज़र्रे मे लम्हें उजाड़ बैठी है करती नही सजदे हर्फो के नाराज़गी मे दिल उजाड़ बैठी है ©Dr. Kritika Joshi (psycwriter)
10 Love
Unsplash मेरी बेवफाइयों की सज़ा मुझे मिल रही की थी जो खता, वो मिल रही बख्शेगा नही वक़्त किसी को भी किये थे जो कर्म उनकी सज़ा मिल रही ©Dr. Kritika Joshi (psycwriter)
11 Love
Unsplash व्यस्त होना था ज़िन्दगी को रोकना था करना था अंत रिश्तो का ऐसे तेसे वेसे कर उन्हे दूर होना था ©Dr. Kritika Joshi (psycwriter)
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