Ramkinkar sharma

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New Year 2025 नवल वर्ष हो मंगलकारी, सुख-समृद्धिमय हो जीवन। लगे रहें नित शुभ कर्मो में, छायें हर्ष-शान्ति के घन।। लेखक: बनारसी "दास" अकोढी़, मीरजापुर दिनांक: 01-01-2025 👉👉 www amazon.com👉👉 Banarasi das book 👉www.flipkart.com👉Banarasi das book ©Ramkinkar sharma

#भक्ति #Newyear2025  New Year 2025  नवल वर्ष हो मंगलकारी,

सुख-समृद्धिमय हो जीवन।

लगे रहें नित शुभ कर्मो में,

छायें हर्ष-शान्ति के घन।।

लेखक: बनारसी "दास"
अकोढी़, मीरजापुर
दिनांक: 01-01-2025
👉👉 www amazon.com👉👉
Banarasi das book
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©Ramkinkar sharma

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#विचार #good_night  🌹🌹🌹

प्रेरणादायी •• कथन

🙏🙏

१ ---- संघर्ष  ही  जीवन  है  🌹

२-----  कठिन  परिस्थितियों  में  प्रत्येक  

संकट  का  मुकाबला  करते  हुए  निरन्तर

आगे  बढ़ते  रहना ।🌹

३----- सादा  जीवन ,ईमानदारी  एवं  उच्च  

विचार  रखना ।🌹

४---- " भक्ति  में  शक्ति "🌹

" बनारसी "दास" :  एक अध्यवसायी व्यक्तित्व "
                                           लेखक : रामकिंकर शर्मा

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#good_night 'अच्छे विचार'

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#कविता  ...............

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#कोट्स  ................

©Ramkinkar sharma

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#कोट्स  मत रोना ?
-----------------
माँ उस दिन था कौन? घूरकर ताका।
बहुत डर रही थी मै, जब उसने झाँका।।
अब मत जाना वहाँ सभी हैं गन्दे।
सबके सब दुर्बुद्धि, विशुद्ध धन्धे।।
रुक,रुक जा माँ, अब क्यूँ जाती है?
मुझपर नहीं तरस खाती है।
डर से ही मैं मर जाऊँगी
तेज चलो मत गिर जाऊँगी
यहाँ लेट आराम करोगी?
बहुत देर क्या शाम करोगी
अरे अरे माँ, तुम क्या खाई।
दम घुटता,थी कोई दवाई।।
माँ, तुझसे मै निकल रही हूँ
बचा, बचा माँ, फिसल रही हूँ
माँ निश्चय अब मर जाऊँगी
तेरी गोद नहीं आऊँगी।।
अरे, अरे माँ देख,खींचती कोई पापिनि।
आह नश्तर चुभा दिया मुझमें, हतभाग्य पिशाचिनि।।
बचा, बचा माँ बचा,अरे माँ, अब मरती
मत रोना माँ,
हम दहेज से, तुम्हें अखरती।।

लेखकः रामकिंकर शर्मा

©Ramkinkar sharma

मत रोना ? ----------------- माँ उस दिन था कौन? घूरकर ताका। बहुत डर रही थी मै, जब उसने झाँका।। अब मत जाना वहाँ सभी हैं गन्दे। सबके सब दुर्बुद्धि, विशुद्ध धन्धे।। रुक,रुक जा माँ, अब क्यूँ जाती है? मुझपर नहीं तरस खाती है। डर से ही मैं मर जाऊँगी तेज चलो मत गिर जाऊँगी यहाँ लेट आराम करोगी? बहुत देर क्या शाम करोगी अरे अरे माँ, तुम क्या खाई। दम घुटता,थी कोई दवाई।। माँ, तुझसे मै निकल रही हूँ बचा, बचा माँ, फिसल रही हूँ माँ निश्चय अब मर जाऊँगी तेरी गोद नहीं आऊँगी।। अरे, अरे माँ देख,खींचती कोई पापिनि। आह नश्तर चुभा दिया मुझमें, हतभाग्य पिशाचिनि।। बचा, बचा माँ बचा,अरे माँ, अब मरती मत रोना माँ, हम दहेज से, तुम्हें अखरती।। लेखकः रामकिंकर शर्मा ©Ramkinkar sharma

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#कोट्स  पुस्तक-क्रेता

अजीत कुमार चौरसिया

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पुस्तक-क्रेता अजीत कुमार चौरसिया ©Ramkinkar sharma

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