क्या कहते हो सिर्फ जिंदगी ही लिखते हो,
सुनो गौर से दुनियावालों,
मैं मुर्दे में भी जान डाल देता हूं,
तुम करते हो जिसका चीरहरण,
मैं उनकी पलको में भी सम्मान डाल देता हूँ,
'हिंदी' तुम्हे लगती है अनपढ़ की भाषा,
मैं उस मातृ संवाद में मोल डाल देता हूँ,
जिसे नहीं पूछता जमाने में कोई,
उसमें कीमत का तोल डाल देता हूँ,
निसंदेह बेहतर हो सब जानते हो,
मैं वो हूँ जो मुर्दे में भी बोल डाल देता हूँ,
जिसकी काया मिटी तुम्हारे नजरो में,
उसकी झोली में रत्न 'अनमोल' डाल देता हूँ,
©अजय पोद्दार 'अनमोल'
©cutetiger….ANMOL
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