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freelancer(journalist,voice-over artist,shayar,content writer,narrator)
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सिर्फ प्राण निकल जाने पर ही मौत नहीं होती, मरा हुआ तो वह भी है जो अपने हक-अधिकार को खत्म होते खामोशी से देख रहा हो.. ©Nitish Chauhan
Nitish Chauhan
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मैं तुम्हें गाली नहीं दूंगा न ही तुमपर पत्थर फेंकूँगा मैं तुम्हें अपनी नज़रों से गिरा दूंगा इतनी ऊँचाई से गिरने पर तुम आप ही मर जाओगे। ©Nitish Chauhan
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आसान नहीं होता. रोज़ टूट कर जुड़ना जैसे तैसे जुड़ तो जाती हूं मैं पर इस टूटने जुड़ने में जो मलबा बचता है उसका ढ़ेर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है काश कहीं ऐसे मलबे को गाड़ कर उस पर लिखा जा सकता- Complete... no scope! ©Nitish Chauhan
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चाँद भी क्या ख़ूब है न सर पर घूंघट है न चेहरे पे बुरका, कभी करवाचौथ का हो गया तो कभी ईद का तो कभी ग्रहण का अगर.. ज़मीन पर होता तो टूट कर विवादों में होता अदालत की सुनवाईयों में होता अख़बार की सुर्खियों में होता लेकिन.. शुक्र है आसमान में बादलों की गोद में है इसलिए ज़मीन में कविताओं और गज़लों में महफूज़ है ©Nitish Chauhan
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ना मीरा की पीर हूँ, ना अद्भुत कबीर हूँ ! शब्दों से है इश्क़ मुझे, अश्कों से अमीर हूँ ©Nitish Chauhan
आदत थी मेरी सबसे हंसकर बोलना मेरा शौक ही मुझे बदनाम कर गया.... ©Nitish Chauhan
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