राम का नाम हो जहां, वहां हनुमान खुद-ब-खुद चले आयेंगे
सो इस जनम क्या, हम हर जनम में, यूंही तेरे पीछे आयेंगे ।
तुम चलो तो सही हाथ थामे, कुछ दूर हमारा
ये प्यार के हसीन रंग, खुद हमें रंगने आयेंगे ।
सबरी की तरह, आंगन में फूल बिछाने को कब कहा है
तुम प्यार से पुकारो तो सही, हम दौड़े चले आयेंगे ।
क्यों झगड़ती रहती हो हमारे वक्त को बंटता देख
कहीं भी जाएं, किसी से भी मिलें हम,
आखिर में थक-हार कर तेरे ही सिरहाने आयेंगे ।
वो (भगवान) जानता है मेरे दिल का सारा सच
सो अगर तुम आओ हमारी ही जैसी तलब लेकर,
तो बादल खुद हमें भिगोने आयेंगे ।
और ये भी मिला, वो भी मिला, जो चाहा था वो सब मिला
जनाब आप कब हमारे ख्वाबों की दुनियां से बाहर आयेंगे ।
©सुधांशु गौतम
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