" शमी सतीश " (Satish Girotiya) Lives in Bhopal, Madhya Pradesh, India

◆ Poet , Shaayar & Short Story writer ✍️ ◆ Single_but_Happy ◆Life_is_too_complicated_but_still_beautiful ◆ 🎂 15 December 1990 ◆ 📲 9806301200, 8109251834

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"वादा" अब यहाँ से जाना बहुत जरूरी है मेरा, उससे किया हुआ वादा, निभाना जरूरी है मेरा। किसी के रहने या ना रहने से क्या फ़र्क पड़ता है? मगर उसकी दुनिया में होना, अब जरूरी है मेरा। उससे किया हुआ वादा, निभाना जरूरी है मेरा। मुझे चैन नहीं मिलता , कहीं आराम नहीं मिलता, मुस्कुराता हुआ देख उसको, मुस्कुराना जरूरी है मेरा। अब ना रोकना मुझे, किसी षडयंत्र से यहाँ मेरे दोस्तों, जाने भी दो यारों, अब जाना बहुत जरूरी है मेरा। उससे किया हुआ वादा, निभाना जरूरी है मेरा। वो कर रही होगी , इंतेज़ार मेरा "नर्मदा नदी" के किनारे, उससे "सेठानी घाट" पर जाके मिलना, अब जरूरी है मेरा। उसका वादा है मुझसे "शमी" ताउम्र आसपास रहने का, उसके शहर में जाकर, अब घर बनाना जरूरी है मेरा। उससे किया हुआ "वादा", अब निभाना जरूरी है मेरा। वो जा ना सकेगी बगैर मेरे, तय की गई तीर्थ यात्रा पर, उसके साथ "कैलाश मानसरोवर" जाना, जरूरी है मेरा। उससे किया हुआ "वादा", अब निभाना जरूरी है मेरा। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#नर्मदापुराम  "वादा"

अब यहाँ से जाना बहुत जरूरी है मेरा, 
उससे किया हुआ वादा, निभाना जरूरी है मेरा। 
किसी के रहने या ना रहने से क्या फ़र्क पड़ता है?
मगर उसकी दुनिया में होना, अब जरूरी है मेरा। 

उससे किया हुआ वादा, निभाना जरूरी है मेरा। 

मुझे चैन नहीं मिलता , कहीं आराम नहीं मिलता, 
मुस्कुराता हुआ देख उसको, मुस्कुराना जरूरी है मेरा।
अब ना रोकना मुझे, किसी षडयंत्र से यहाँ मेरे दोस्तों,
जाने भी दो यारों, अब जाना बहुत जरूरी है मेरा। 

उससे किया हुआ वादा, निभाना जरूरी है मेरा। 

वो कर रही होगी , इंतेज़ार मेरा "नर्मदा नदी" के किनारे, 
उससे "सेठानी घाट" पर जाके मिलना, अब जरूरी है मेरा। 
उसका वादा है मुझसे "शमी" ताउम्र आसपास रहने का,
उसके शहर में जाकर, अब घर बनाना जरूरी है मेरा। 

उससे किया हुआ "वादा", अब निभाना जरूरी है मेरा। 

वो जा ना सकेगी बगैर मेरे, तय की गई तीर्थ यात्रा पर,
उसके साथ "कैलाश मानसरोवर" जाना, जरूरी है मेरा।

उससे किया हुआ "वादा", अब निभाना जरूरी है मेरा।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

White किसी कब्र सी है ज़िंदगी मेरी, कितनी ही यादें दफ़न हैं इसमें तेरी। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#Sad_Status  White किसी कब्र सी है ज़िंदगी मेरी,

कितनी ही यादें दफ़न हैं इसमें तेरी।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#Sad_Status

10 Love

White पढ़कर ख्याल मेरा कहा उसने : नहीं होते व्यर्थ... पैगाम इसलिए नहीं आता, क्योंकि अब बात कुछ और है। तुम हो चुके हो पराए , और अब मैं हो चुकी हूं ग़ैर। करवट ले चुका है वक्त, और अब हालत कुछ और हैं। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#love_shayari  White पढ़कर ख्याल मेरा कहा उसने : नहीं होते व्यर्थ...
पैगाम इसलिए नहीं आता, क्योंकि अब बात कुछ और है। 

तुम हो चुके हो पराए ,  और अब मैं हो चुकी हूं ग़ैर।
करवट ले चुका है वक्त, और अब हालत कुछ और हैं।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#love_shayari

15 Love

White ना तेरे दिल तक पहुँचते हैं, ना अब उनके बदले कोई पैग़ाम आते हैं। तुम्हारे लिए मेरे लिखे हुए ख़याल, अब व्यर्थ हो जाते हैं। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#sad_quotes  White ना तेरे दिल तक पहुँचते हैं,
 ना अब उनके बदले कोई पैग़ाम आते हैं।


तुम्हारे लिए मेरे लिखे हुए ख़याल,
अब व्यर्थ हो जाते हैं।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#sad_quotes

16 Love

White कुछ सवाल, जो तुमने मुझसे किए ही नहीं कभी, हर रोज लिखकर इक नया ख़्याल, मैं उन सबके जवाब देता हूँ। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#Sad_Status  White कुछ सवाल, 
जो तुमने मुझसे किए ही नहीं कभी,

हर रोज लिखकर इक नया ख़्याल, 
मैं उन सबके जवाब देता हूँ।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#Sad_Status

13 Love

Unsplash किसी उपन्यास के 2nd लास्ट पन्ने जैसा फ़िर वो नवंबर आया, सारी ख्वाहिशें दफन की सीने में फ़िर, खुशियां सब उसके नाम कर आया। पढ़कर वो पूरी किताब और करके दस्तखत आख़िरी पन्ने पर, वो किताब उसे तोहफ़े में, उसके जन्म दिन पर दे आया । ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#Book  Unsplash किसी उपन्यास के 2nd लास्ट पन्ने जैसा फ़िर वो नवंबर आया,
सारी ख्वाहिशें दफन की सीने में फ़िर, खुशियां सब उसके नाम कर आया। 

पढ़कर वो पूरी किताब और करके दस्तखत आख़िरी पन्ने पर, 
वो किताब उसे तोहफ़े में, उसके जन्म दिन पर दे आया ।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

#Book

14 Love

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