तलाश
तलाश है मुझे...कुछ मेरे ही तरह के शख्स की, जो...इस जिंदगी से, इतनी शिकायतों के बाद भी, मुस्कुराते हुए गुजार रहा हो, अपना हर दिन-हर पल,
मंजिलों से ज्यादा जिनके, राश्तें पर हो नजर...सफर ए शिखर-मुकाम मे ,
अफवाहों के बाजार मे...जिनका चर्चा हो हर जुबान मे,
जिसका की हर अरमान, भरता हो उड़ान...दुर ऊंचे आसमान मे,
शौक हो कुछ ऐसा, बिल्कुल नवाबों जैसा, भले ही...उन्हें वो पूरा करता हो...सपनों के संसार मे,
बाते साफ और स्पष्ट, बिल्कुल खरा-खरा....करता हो जो सबके सामने, भले ही...बुरा लगे तो साथ छोड़ दे, सगा-संबंधी या ईष्ट मित्र...तकरार मे,
बदलने की ना हो गुंजाइश...जिसके किरदार मे,
भीड़ से अलग चलने की, रखता हो जो हौसला...अपने हर ख्याल मे,
भय ना रखता हो जो, पछतावे का...अपने किये हुए किसी भी, क्रियाकलाप मे,
औरों की सुनने से ज्यादा, जो सुनता हो...अपने मन की बाते, किसी...फैसले की हालात मे,
किस्मत से ज्यादा जिनको, अपने मेहनत पर हो भरोसा...सफलताओं के द्वार मे,
रखकर स्वार्थ को परे, लेता हो जो फैसला...जब बात हो सामूहिकता के साथ मे,
तलाश है मुझे...कुछ मेरे ही तरह के शख्स की, जो...इस जिंदगी से, इतनी शिकायतों के बाद भी, मुस्कुराते हुए गुजार रहा हो, अपना हर दिन-हर पल,
सादर :-अरूण कुमार (परिकल्पना/स्वविचार )
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