Ajay Singh Suryavanshi

Ajay Singh Suryavanshi Lives in Ayodhya, Uttar Pradesh, India

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रफ़ाक़तो मे प़शेमानियां तो होती हैं । कि दोस्तो से भी नादानियां तो होती है । बस इस सब़ब से कि तुझ पर बहुत भरोसा था, गिले ना भी हो हैरानियां तो होती है । - अहमद फ़राज़ रफ़ाक़त = दोस्त , प़शेमानी = पछतावा सब़ब = कारण ©Ajay Singh Suryavanshi

#FriendsareLife #friendshayri  रफ़ाक़तो मे प़शेमानियां तो होती हैं ।
कि दोस्तो से भी नादानियां तो होती है ।    
बस इस सब़ब से कि तुझ पर बहुत भरोसा था,
गिले ना भी हो हैरानियां तो होती है ।
- अहमद फ़राज़

रफ़ाक़त = दोस्त  ,  
प़शेमानी = पछतावा
सब़ब  =  कारण

©Ajay Singh Suryavanshi

सुखार्थ सर्वभूतानां मता: सर्वाप्रवृत्तय : । सुख नास्ति विना धर्म तस्यात् धर्मपरो भव ।। अर्थात - सभी प्राणियो की प्रवृत्ति सुख के लिए होती हैं, और धर्म के बिना सुख नहीं मिलता इसलिए धर्मपरायण बनो ।

#संस्कृतम् #सुभाषतानि #संस्कृत #श्लोक  सुखार्थ सर्वभूतानां मता: सर्वाप्रवृत्तय : ।
     सुख नास्ति विना धर्म तस्यात् धर्मपरो भव ।।        अर्थात -      
  सभी प्राणियो की प्रवृत्ति सुख के लिए होती हैं, और धर्म के बिना सुख नहीं मिलता इसलिए धर्मपरायण बनो ।
#वसीम

# शायरी #वसीम बरेलवी

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हम उन सब किताबों को कबिल -ए- जब्ती समझते है जिनको पढ़ के बच्चे माँ बाप को खब्ती समझते हैं खब्ती = पागल

#writer  हम उन सब किताबों को कबिल -ए- जब्ती समझते है 
जिनको पढ़ के बच्चे माँ बाप को खब्ती समझते हैं


खब्ती = पागल

#writer

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मेरी नाकामयाबी

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पेड़ का रुप धार लुंगा मैं हर परिन्दे से प्यार लुंगा मैं तुम सामने आ भी गई तो कौन सा तीर मार लुंगा मैं

#शायरी  पेड़ का रुप धार लुंगा मैं 
हर परिन्दे से प्यार लुंगा मैं 
तुम सामने आ भी गई तो
 कौन सा तीर मार लुंगा मैं

नाकामी

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