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रफ़ाक़तो मे प़शेमानियां तो होती हैं । कि दोस्तो से भी नादानियां तो होती है । बस इस सब़ब से कि तुझ पर बहुत भरोसा था, गिले ना भी हो हैरानियां तो होती है । - अहमद फ़राज़ रफ़ाक़त = दोस्त , प़शेमानी = पछतावा सब़ब = कारण ©Ajay Singh Suryavanshi
Ajay Singh Suryavanshi
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सुखार्थ सर्वभूतानां मता: सर्वाप्रवृत्तय : । सुख नास्ति विना धर्म तस्यात् धर्मपरो भव ।। अर्थात - सभी प्राणियो की प्रवृत्ति सुख के लिए होती हैं, और धर्म के बिना सुख नहीं मिलता इसलिए धर्मपरायण बनो ।
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हम उन सब किताबों को कबिल -ए- जब्ती समझते है जिनको पढ़ के बच्चे माँ बाप को खब्ती समझते हैं खब्ती = पागल
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पेड़ का रुप धार लुंगा मैं हर परिन्दे से प्यार लुंगा मैं तुम सामने आ भी गई तो कौन सा तीर मार लुंगा मैं
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