Andaaz bayan

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जी भर के निहारों,इस तरह प्रभु को, कि हृदय में तस्वीर छप जाए । बंद करें,जब-जब आंखों को प्रभु भोलेनाथ जी के दर्शन हो जाए।।✍🏻 📿📿📿📿📿📿📿📿📿📿📿 ©Andaaz bayan

#Quotes #Shiva #Wish  #Bhole #pray  जी भर के निहारों,इस तरह प्रभु को, 
कि हृदय में तस्वीर छप जाए ।
बंद करें,जब-जब आंखों को 
प्रभु भोलेनाथ जी के दर्शन हो जाए।।✍🏻
📿📿📿📿📿📿📿📿📿📿📿

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!!1857 की क्रांति!! धधक उठी चिंगारी,सैलाब स्वतंत्रता का ये पहला था । गाय सूअर की चर्बी वाले कारतूसों ने,"घी "आग में डाला था ।। तब मौत का कोई खौफ नहीं रह गया,सीने पर गोली खाने को । जब मजबूर किया,भारतीयों को,ब्रिटिश इंडिया कंपनी के अमानुषिक व्यवहारों ने।। तब हल्ला बोला स्वतंत्रता सेनानियों ने जिनकी सूची काफी लंबी थी। (प्रमुख थे बहादुर शाह जफर,मंगल पांडे,नाना साहेब,तात्या टोपे,कुंवर सिंह लक्ष्मी बाई ) राज्य हड़पने,धर्म परिवर्तन,रिवाजों से छेड़छाड़,जब रास ना भारतीयों को ये सब आया था।। यूं तो देशभक्ति की ज्वाला हर एक क्रांतिकारी के दिल में थी, छूटी जमीन किसानों से ,जमीदारों की रियासतों का विलय हुआ । ठप्प हुआ हस्तशिल्प कारीगरों का,बच्चों से गुरुकुल मदरसा छीना गया, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन ने सबका बेड़ा गर्क किया।। चली गई ब्रिटिश सरकार के हाथ में ,सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत की। 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का ये निर्णायक परिणाम हुआ।।✍🏻 ©Andaaz bayan

#1857revolt #1857War #poems #poem  !!1857 की क्रांति!!
धधक उठी चिंगारी,सैलाब स्वतंत्रता का ये पहला था ।
गाय सूअर की चर्बी वाले कारतूसों ने,"घी "आग में डाला था ।।

तब मौत का कोई खौफ नहीं रह गया,सीने पर गोली खाने को ।
जब मजबूर किया,भारतीयों को,ब्रिटिश इंडिया कंपनी के अमानुषिक व्यवहारों ने।।

तब हल्ला बोला स्वतंत्रता सेनानियों ने जिनकी सूची काफी लंबी थी।
(प्रमुख थे बहादुर शाह जफर,मंगल पांडे,नाना साहेब,तात्या टोपे,कुंवर सिंह लक्ष्मी बाई )
राज्य हड़पने,धर्म परिवर्तन,रिवाजों से छेड़छाड़,जब रास ना भारतीयों को ये सब आया था।।

यूं तो देशभक्ति की ज्वाला हर एक क्रांतिकारी के दिल में थी,
छूटी जमीन किसानों से ,जमीदारों की रियासतों का विलय हुआ ।
ठप्प हुआ हस्तशिल्प कारीगरों का,बच्चों से गुरुकुल मदरसा छीना गया,
ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन ने सबका बेड़ा गर्क किया।।

चली गई ब्रिटिश सरकार के हाथ में ,सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत की।
1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का ये निर्णायक परिणाम हुआ।।✍🏻

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#1857revolt #1857War #poem #poems Hinduism poetry poetry in hindi

13 Love

!झांसी की रानी लक्ष्मी बाई! स्वप्न अनोखा देखा था,चर्चा में उनको सुन रखा था। बोली मुझसे,निडर बनो,डर के आगे कभी ना झुको।। देख उनकी वेशभूषा,तलवार चांदी सी चमकी थी। बांधे कपड़े से लाल(पुत्र)को पीछे,शत्रुओं की काल बन बैठी थी।। किस्से और कहानी में नाना साहेब,तात्या टोपे,कुंवर सिंह आदि नामो सहित, एक वीरांगना ब्रिटिश हुकूमत पर भारी थी। देखा उनको मैं चकित हुई,आई स्वप्न में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई थी।। बहादुर साहसी निडर,दृढ़ संकल्पी,और बुद्धिमान थी। सच्ची योद्धा,शक्ति की प्रतीक देश की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई थी।। ना घुटने टेके,ना घबराई थी,ब्रिटिश हुकूमत के आगे बिल्कुल भी नही डगमगाई थी। (1857)प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को धूल चटाई थी,"मैं झांसी किसी कीमत पर भी नहीं दूंगी", ये मन में उन्होंने ठानी थी।। करारा जवाब,अंग्रेजों को ललकार,बर्बरतापूर्ण नीतियों के खिलाफ,देना था। ओजस्वी तेजस्वी रानी लक्ष्मी बाई ने,दत्तक पुत्र के साथ झांसी का राजदरबार संभाला था।। नारी वो धुरंधर है जो,आकाश को भी चुनौती दे सकती है। अपने पर जब वो आ जाए तो,इंसान क्या यमराज से भी लड़ सकती है।। होती रहेगी,जय जयकार युगों युगों तक धरती पर वीर गाथाओं में । शत्रुओं पर भारी थी,सिंहनी-सी रानी झांसी की,जब उतरी रण मैदान में।। ✍🏻 ©Andaaz bayan

#RaniLaxmiBai #Jhansi #Dream #veer  !झांसी की रानी लक्ष्मी बाई!
स्वप्न अनोखा देखा था,चर्चा में उनको सुन रखा था।
बोली मुझसे,निडर बनो,डर के आगे कभी ना झुको।।

देख उनकी वेशभूषा,तलवार चांदी सी चमकी थी।
बांधे कपड़े से लाल(पुत्र)को पीछे,शत्रुओं की काल बन बैठी थी।। 

किस्से और कहानी में नाना साहेब,तात्या टोपे,कुंवर सिंह आदि नामो सहित,
एक वीरांगना ब्रिटिश हुकूमत पर भारी थी।
देखा उनको मैं चकित हुई,आई स्वप्न में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई थी।।

बहादुर साहसी निडर,दृढ़ संकल्पी,और बुद्धिमान थी।
सच्ची योद्धा,शक्ति की प्रतीक देश की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई थी।।

ना घुटने टेके,ना घबराई थी,ब्रिटिश हुकूमत के आगे बिल्कुल भी नही डगमगाई थी। 
(1857)प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को धूल चटाई थी,"मैं झांसी किसी कीमत पर भी नहीं दूंगी",
ये मन में उन्होंने ठानी थी।।

करारा जवाब,अंग्रेजों को ललकार,बर्बरतापूर्ण नीतियों के खिलाफ,देना था। 
ओजस्वी तेजस्वी रानी लक्ष्मी बाई ने,दत्तक पुत्र के साथ झांसी का राजदरबार संभाला था।।

नारी वो धुरंधर है जो,आकाश को भी चुनौती दे सकती है।
अपने पर जब वो आ जाए तो,इंसान क्या यमराज से भी लड़ सकती है।।

होती रहेगी,जय जयकार युगों युगों तक धरती पर वीर गाथाओं में ।  
शत्रुओं पर भारी थी,सिंहनी-सी रानी झांसी की,जब उतरी रण मैदान में।। ✍🏻

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11 Love

लक्ष्य का आकलन छोटे या बड़े से नहीं किया जा सकता कामयाबी का मूल्यांकन पैसों से नहीं किया जा सकता है अच्छा लगता है,सफलता अपनी प्रोफेशन लाइफ में मिलती हैं बढ़ जाती है चार गुना खुशी तब जब पहचान अपने बच्चों से बनती हैं✍🏻 ©Andaaz bayan

#relation #Identify #Quotes #Mother  लक्ष्य का आकलन छोटे या बड़े  
  से नहीं किया जा सकता 
कामयाबी का मूल्यांकन
  पैसों से नहीं किया जा सकता है 
अच्छा लगता है,सफलता 
   अपनी प्रोफेशन लाइफ में मिलती हैं
बढ़ जाती है चार गुना खुशी तब  
     जब पहचान अपने बच्चों से बनती हैं✍🏻

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13 Love

#LalBahadurShastri #Motivational  लाल बहादुर शास्त्री जी की
एक घटना तुम्हें बताऊं। 
जब पढ़ते थे बचपन में 
पुस्तक लाने को बार-बार अध्यापक कहते।।

निधन पिता के बाद घर की हालत हुई खराब 
देने पर आखरी चेतावनी अध्यापक की। 
तब मांगी मित्र से पुस्तक उधार 
कल दे दूंगा इस वादे के साथ
निश्चित रहो मेरे यार ।।

रात भर बिजली के खंभे के नीचे 
हू-ब-हू एक एक शब्द पुस्तक से उतारा। 
कॉपी को पुस्तक कर डाला
जब देखा मास्टर जी ने देखकर हुए हैरान ।।

मार्मिक शब्द बहादुर बोले।। 
पिता नहीं है मेरे,ना ही इतने पैसे 
जो पुस्तक खरीद सकूं 
अध्यापक महोदय के छलक पड़े आंसू
आंखों में करुणा उतर आई।।

सिर पर रखा प्यार हाथ से,'बोले बेटा'
"करोगे निश्चय ही तुम एक दिन देश का नाम ।।✍🏻

©Andaaz bayan

#LalBahadurShastri motivational thoughts on success

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#LalBahadurShastri #Motivational  लाल बहादुर शास्त्री जी की
एक घटना तुम्हें बताऊं। 
जब पढ़ते थे बचपन में 
पुस्तक लाने को बार-बार अध्यापक कहते।।

निधन पिता के बाद घर की हालत हुई खराब 
देने पर आखरी चेतावनी अध्यापक की। 
तब मांगी मित्र से पुस्तक उधार 
कल दे दूंगा इस वादे के साथ
निश्चित रहो मेरे यार ।।

रात भर बिजली के खंभे के नीचे 
हू-ब-हू एक एक शब्द पुस्तक से उतारा। 
कॉपी को पुस्तक कर डाला
जब देखा मास्टर जी ने देखकर हुए हैरान ।।

मार्मिक शब्द बहादुर बोले।। 
पिता नहीं है मेरे,ना ही इतने पैसे 
जो पुस्तक खरीद सकूं 
अध्यापक महोदय के छलक पड़े आंसू
आंखों में करुणा उतर आई।।

सिर पर रखा प्यार हाथ से,'बोले बेटा'
"करोगे निश्चय ही तुम एक दिन देश का नाम ।।✍🏻

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#LalBahadurShastri motivational thoughts on success

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