मेरी मोहब्बत
वह भी क्या मौसम था जब पहली बार उसको देखा था
उसकी हसीन मुस्णकान पर मैं अपना होश खो बैठा था
इतना पागल हो गया था कि दूर निगाहों से उसे चुपके से देख रहा था
जब अकेला होता तो उसे याद करके मुस्कुरा रहा था
न जाने क्यों अब सब अच्छा लगने लगा था
हर किसी को मोहब्बत सिखाने को दिल कर रहा था
जहां कहीं भी वह जाती मैं उसके पीछे जा रहा था
धीरे-धीरे उसको भी मेरे बारे में पता लगने लगा था
कि कोई है जो उसका पीछा कर रहा था
पता नहीं यह क्या हो रहा था
पर अब लगा जैसे उसको भी मुझ पर प्यार आ रहा था
वाह ख़ु़दा क्या बराबर का दिल मिला रहा था
अब मोहब्बत का सिलसिला शुरू हो रहा था
सब कुछ अच्छा चल रहा था
जब भी उससे मिलता था मैं अपने दिल का हाल सुनाया करता था
मेरी हर बात पर हंसती थी वह उसे भी तो मुझ पर एतबार हो रहा था
अब ख़ुदा हमें रोज मिला रहा था
एक दिन बैठे थे हम बाग में और हमें कोई चुपके से देख रहा था बाद में पता चला वह उसका बाप था
हमारा मिलना उसके बाप उसके परिवार को पसंद नहीं आ रहा था
अब वह उसे मुझसे मिलने से रोक रहा था
वैसे तो हम इंसान हैं पर उसका बाप अपने आप को हिंदू और मुझे मुसलमान बता रहा था
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था
प्यार तो दिल से होता है सुना था
पर वह मेरे साथ धर्म का खेल खेल रहा था
वह उसे मेरे खिलाफ भड़का रहा था
मैं बस देख रहा था और धीरे-धीरे मेरा प्यार मुझसे दूर जा रहा था
उससे मिलूं भी तो कैसे मिलूं उसके घर वालों ने उसे बंद करके रखा था
पहले उसकी मुस्कान देखकर उसके गली से गुजरता था
अब घंटों उसके घर के बाहर रुका रहता पर मुझे देखने कोई नहीं आ रहा था
मेरा होश चैन सब कुछ जा रहा था
इश्क में कितना दर्द होता है मुझे पता चल रहा था
मैं उसे पागलों की तरह ढूंढ रहा था
बहुत दिनों के बाद वह दिखी मुझे पर अब मेरा सनम मुझे पहचानने से इंकार कर रहा था
क्योंकि उसके हाथ में अब किसी और का हाथ था
यह सुनकर मैं वहीं ठहर गया था
बिन मौसम में भीग रहा था
प्यार तो हम दोनों ने किया पर सजा सिर्फ मुझे मिल रहा था
उसने तो मुझे भुला दिया पर मैं उसे नहीं भूल पा रहा था
छोड़ दिया वह गली वह शहर पर फिर भी उसकी यादों में डूबे जा रहा था
हर पल दीवाना वन कर रोए जा रहा था
अपने आप से ही दूर जा रहा था
महफिल के बीच खुद को तन्हा पा रहा था
उजाले से छुपकर अंधेरे में भाग रहा था
अब मेरा सब कुछ बदल गया था
क्योंकि मेरा ख़ु़दा मुझसे रूठ गया था
क्योंकि मैंने एक बेवफा से दिल लगाया था
हां मेरा सनम बेवफा था मेरा सनम बेवफा था
written by Didar Hussain
मेरी मोहब्बत
वह भी क्या मौसम था जब पहली बार उसको देखा था
उसकी हसीन मुस्णकान पर मैं अपना होश खो बैठा था
इतना पागल हो गया था कि दूर निगाहों से उसे चुपके से देख रहा था
जब अकेला होता तो उसे याद करके मुस्कुरा रहा था
न जाने क्यों अब सब अच्छा लगने लगा था
हर किसी को मोहब्बत सिखाने को दिल कर रहा था
जहां कहीं भी वह जाती मैं उसके पीछे जा रहा था
धीरे-धीरे उसको भी मेरे बारे में पता लगने लगा था
कि कोई है जो उसका पीछा कर रहा था
पता नहीं यह क्या हो रहा था
पर अब लगा जैसे उसको भी मुझ पर प्यार आ रहा था
वाह ख़ु़दा क्या बराबर का दिल मिला रहा था
अब मोहब्बत का सिलसिला शुरू हो रहा था
सब कुछ अच्छा चल रहा था
जब भी उससे मिलता था मैं अपने दिल का हाल सुनाया करता था
मेरी हर बात पर हंसती थी वह उसे भी तो मुझ पर एतबार हो रहा था
अब ख़ुदा हमें रोज मिला रहा था
एक दिन बैठे थे हम बाग में और हमें कोई चुपके से देख रहा था बाद में पता चला वह उसका बाप था
हमारा मिलना उसके बाप उसके परिवार को पसंद नहीं आ रहा था
अब वह उसे मुझसे मिलने से रोक रहा था
वैसे तो हम इंसान हैं पर उसका बाप अपने आप को हिंदू और मुझे मुसलमान बता रहा था
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था
प्यार तो दिल से होता है सुना था
पर वह मेरे साथ धर्म का खेल खेल रहा था
वह उसे मेरे खिलाफ भड़का रहा था
मैं बस देख रहा था और धीरे-धीरे मेरा प्यार मुझसे दूर जा रहा था
उससे मिलूं भी तो कैसे मिलूं उसके घर वालों ने उसे बंद करके रखा था
पहले उसकी मुस्कान देखकर उसके गली से गुजरता था
अब घंटों उसके घर के बाहर रुका रहता पर मुझे देखने कोई नहीं आ रहा था
मेरा होश चैन सब कुछ जा रहा था
इश्क में कितना दर्द होता है मुझे पता चल रहा था
मैं उसे पागलों की तरह ढूंढ रहा था
बहुत दिनों के बाद वह दिखी मुझे पर अब मेरा सनम मुझे पहचानने से इंकार कर रहा था
क्योंकि उसके हाथ में अब किसी और का हाथ था
यह सुनकर मैं वहीं ठहर गया था
बिन मौसम में भीग रहा था
प्यार तो हम दोनों ने किया पर सजा सिर्फ मुझे मिल रहा था
उसने तो मुझे भुला दिया पर मैं उसे नहीं भूल पा रहा था
छोड़ दिया वह गली वह शहर पर फिर भी उसकी यादों में डूबे जा रहा था
हर पल दीवाना वन कर रोए जा रहा था
अपने आप से ही दूर जा रहा था
महफिल के बीच खुद को तन्हा पा रहा था
उजाले से छुपकर अंधेरे में भाग रहा था
अब मेरा सब कुछ बदल गया था
क्योंकि मेरा ख़ु़दा मुझसे रूठ गया था
क्योंकि मैंने एक बेवफा से दिल लगाया था
हां मेरा सनम बेवफा था मेरा सनम बेवफा था
written by Didar Hussain
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