लिखना चाहता हूं तेरे गुरुर पर ,
लेकिन....
बताना भी चाहता हूं अपने सुकून पर।
तेरी बातों का लहजा मुझे जचता नहीं ,
पर सच ये भी है कि.... अब
तुझसे बिन बात किए मेरा दिन कटता नहीं।
कांटों की तरह अल्फ़ाज़ होता हैं तुम्हारा ,
पर उसे भी हम अपना कहेंगे....
क्योंकि उन कांटों के पीछे ,गुलाब तुम हमारा।
माना अनजान सलिखा है तुम्हारा
मगर ठाना हमने भी है...
तुझे बनाना है ,अपना हमारा।
©Sanjay Manas
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