Faiz Khan

Faiz Khan

https://instagram.com/faizkhan2727?igshid=YmMyMTA2M2Y=

  • Latest
  • Popular
  • Video
#विचार  Some blessings are needed, some positive vibes, some angels too, who can do unexpected miracles....

©Faiz Khan

Some blessings are needed, some positive vibes, some angels too, who can do unexpected miracles.... ©Faiz Khan

108 View

किसी रिश्तें को तोड़ने से पहले एक बार ये सोच लेना चाहिए के अब तक उस रिश्तें को निभा क्यू रहे थे...... ©Faiz Khan

#विचार  किसी रिश्तें को तोड़ने से पहले एक बार ये सोच लेना चाहिए के अब तक उस रिश्तें को निभा क्यू रहे थे......

©Faiz Khan

#Love

6 Love

ईद की तयारी में सब मसरूफ़ है,,, चांद की मुबारकबाद में मशगूल है,,, ऐ खुदा तू ही बता की कैसे ईद मनाए हम,,, हमने तो दीदार अपने चांद का अभी तक किया नहीं,,,, ©Faiz Khan

#कविता #Moon  ईद की तयारी में सब मसरूफ़ है,,,
चांद की मुबारकबाद में मशगूल है,,,
ऐ खुदा तू ही बता की कैसे ईद मनाए हम,,,
हमने तो दीदार अपने चांद का अभी तक किया नहीं,,,,

©Faiz Khan

#Moon

8 Love

पता है, कुछ नही है पर बहुत कुछ है,,, खाली जेब के साथ टूटे ख़्वाब बहुत है,,, पहले सब मेरे अपने थे, अब मेरे अपने भी मेरे नही है,,, जो दोस्त साथ थे वो भी मसरूफ अपनी उलझनों में है,,, शोहरत के आईने ने अक्स मेरा तोड़ दिया,,, टूटा हुआ मै मुझ में जुड़ने की ताक़त अब नही है,,, कामयाबी की कहानियां, फसाने मेरे बहुत है,,, नाकामयाबी के किस्से भी मेरे कुछ कम नहीं है,,, बात मेरी करू तो क्या हु मै, एक अदना सा आदमी,,, दौलत नही है तो रिश्तों मे अकेलापन भी बहुत है,,, मुहब्बत इखलात की बात भला कोन करे अब हमसे,,, इस दर्द-ए-दिल में शिफा, "फैज़" की शायरी में बहुत है,,, ©Faiz Khan

 पता है, कुछ नही है पर बहुत कुछ है,,,
खाली जेब के साथ टूटे ख़्वाब बहुत है,,,

पहले सब मेरे अपने थे, अब मेरे अपने भी मेरे नही है,,,
जो दोस्त साथ थे वो भी मसरूफ अपनी उलझनों में है,,,

शोहरत के आईने ने अक्स मेरा तोड़ दिया,,,
टूटा हुआ मै मुझ में जुड़ने की ताक़त अब नही है,,,

कामयाबी की कहानियां, फसाने मेरे बहुत है,,,
नाकामयाबी के किस्से भी मेरे कुछ कम नहीं है,,,

बात मेरी करू तो क्या हु मै, एक अदना सा आदमी,,,
दौलत नही है तो रिश्तों मे अकेलापन भी बहुत है,,,

मुहब्बत इखलात की बात भला कोन करे अब हमसे,,,
इस दर्द-ए-दिल में शिफा, "फैज़" की शायरी में बहुत है,,,

©Faiz Khan

पता है, कुछ नही है पर बहुत कुछ है,,, खाली जेब के साथ टूटे ख़्वाब बहुत है,,, पहले सब मेरे अपने थे, अब मेरे अपने भी मेरे नही है,,, जो दोस्त साथ थे वो भी मसरूफ अपनी उलझनों में है,,, शोहरत के आईने ने अक्स मेरा तोड़ दिया,,, टूटा हुआ मै मुझ में जुड़ने की ताक़त अब नही है,,, कामयाबी की कहानियां, फसाने मेरे बहुत है,,, नाकामयाबी के किस्से भी मेरे कुछ कम नहीं है,,, बात मेरी करू तो क्या हु मै, एक अदना सा आदमी,,, दौलत नही है तो रिश्तों मे अकेलापन भी बहुत है,,, मुहब्बत इखलात की बात भला कोन करे अब हमसे,,, इस दर्द-ए-दिल में शिफा, "फैज़" की शायरी में बहुत है,,, ©Faiz Khan

6 Love

सुनो फिज़ा,,,मैने कुछ लिखा है,,, तुम्हें, तुम्हारी अदा को लिखा हैं,,, चंचल, खिलखिलाती फिज़ा को,,, खुशरांग फिज़ा मैने लिखा है,,, आवाज़ तुम्हारी लिख नहीं सकता,,, तो उसका एहसास लिखा है,,, मैंने कुछ बेहतर लिखने की कोशिश में,,, तुम्हारे साथ बिताए लम्हों को शब्दों में पिरोया है,,, फिर जाकर मैंने प्यारा सा साथ अपना लिखा हैं,,, फिज़ा इस बार सिर्फ तुम्हारे लिए लिखा है,,, प्यार नही लिखा,,, अटूट दोस्ती लिखी है,,, दोस्ती वाले प्यार की मैने शायरी लिखी है,,, तुझसे मिलाने के लिए खुदा को शुक्र लिखा है,,, हम साथ रहे उम्र भर ये दुआ मैने दिन रात लिखी है,,, मायूसी मिटा कर खुशियां लिखी है,,, तेरे लबों के लिए फिज़ा मैने मुस्कुराहट नई लिखी है,,, आसुओं को तेरे मै मेरी आंखो से बहा दूंगा,,, तेरी पलकों पर मैं खुशियां अपनी लिख दूंगा,,, इस कदर लिखूंगा हतेली पर तेरे लकीरें कामयाबी की,,, की गम मिटा कर वो खुदा तेरे तकदीर में सिर्फ खुशियां लिखेगा,,, फिज़ा सुनो तो सही मैने मेरा दिल तुम्हारे लिए लिखा है,,, ©Faiz Khan

#कविता  सुनो फिज़ा,,,मैने कुछ लिखा है,,,
तुम्हें, तुम्हारी अदा को लिखा हैं,,,
चंचल, खिलखिलाती फिज़ा को,,,
खुशरांग फिज़ा मैने लिखा है,,,
आवाज़ तुम्हारी लिख नहीं सकता,,,
तो उसका एहसास लिखा है,,,
मैंने कुछ बेहतर लिखने की कोशिश में,,,
तुम्हारे साथ बिताए लम्हों को शब्दों में पिरोया है,,,
फिर जाकर मैंने प्यारा सा साथ अपना लिखा हैं,,,
फिज़ा इस बार सिर्फ तुम्हारे लिए लिखा है,,,
प्यार नही लिखा,,, अटूट दोस्ती लिखी है,,,
दोस्ती वाले प्यार की मैने शायरी लिखी है,,,
तुझसे मिलाने के लिए खुदा को शुक्र लिखा है,,,
हम साथ रहे उम्र भर ये दुआ मैने दिन रात लिखी है,,,
मायूसी मिटा कर खुशियां लिखी है,,,
तेरे लबों के लिए फिज़ा मैने मुस्कुराहट नई लिखी है,,,
आसुओं को तेरे मै मेरी आंखो से बहा दूंगा,,,
तेरी पलकों पर मैं खुशियां अपनी लिख दूंगा,,,
इस कदर लिखूंगा हतेली पर तेरे लकीरें कामयाबी की,,,
की गम मिटा कर वो खुदा तेरे तकदीर में सिर्फ खुशियां लिखेगा,,,
फिज़ा सुनो तो सही मैने मेरा दिल तुम्हारे लिए लिखा है,,,

©Faiz Khan

सुनो फिज़ा,,,मैने कुछ लिखा है,,, तुम्हें, तुम्हारी अदा को लिखा हैं,,, चंचल, खिलखिलाती फिज़ा को,,, खुशरांग फिज़ा मैने लिखा है,,, आवाज़ तुम्हारी लिख नहीं सकता,,, तो उसका एहसास लिखा है,,, मैंने कुछ बेहतर लिखने की कोशिश में,,, तुम्हारे साथ बिताए लम्हों को शब्दों में पिरोया है,,, फिर जाकर मैंने प्यारा सा साथ अपना लिखा हैं,,, फिज़ा इस बार सिर्फ तुम्हारे लिए लिखा है,,, प्यार नही लिखा,,, अटूट दोस्ती लिखी है,,, दोस्ती वाले प्यार की मैने शायरी लिखी है,,, तुझसे मिलाने के लिए खुदा को शुक्र लिखा है,,, हम साथ रहे उम्र भर ये दुआ मैने दिन रात लिखी है,,, मायूसी मिटा कर खुशियां लिखी है,,, तेरे लबों के लिए फिज़ा मैने मुस्कुराहट नई लिखी है,,, आसुओं को तेरे मै मेरी आंखो से बहा दूंगा,,, तेरी पलकों पर मैं खुशियां अपनी लिख दूंगा,,, इस कदर लिखूंगा हतेली पर तेरे लकीरें कामयाबी की,,, की गम मिटा कर वो खुदा तेरे तकदीर में सिर्फ खुशियां लिखेगा,,, फिज़ा सुनो तो सही मैने मेरा दिल तुम्हारे लिए लिखा है,,, ©Faiz Khan

9 Love

जिसकी तलाश में अरसे से हैं,,, ना प्यार वो सच्चा मिला, ना यार वो पक्का मिला,,, शायद आमाल ही मेरे अच्छे ना थे,,, इसलिए हमसफर भी वो नेक दामन ना मिला,,, ज़िक्र में उस रब के मसरूफ है,,, इबादत में उसके मशगूल है,,, कोई तो सज़दा कुबूल होगा बारगाह में उसके,,, के इलाही मुझे मेरे आसुओं का सिला अब तक ना मिला,,, हात दुआओं में,,,एक धुंधली सी तसवीर निगाहों में,,, के तलाश-ए-तस्वीर में पता उसका का अब तक ना मिला,,, ना तुम मिले,,,ना साथ तुम्हारा मिला,,, बात हो मुहब्बत की वो वक्त भी ना मिला,,, तुम्हे अपना कह सके ये हक भी अब तक ना मिला,,, इश्क़ ही शायद तकदीर में ना हो,,, लकीर तेरे नाम की हथेली पर ना हो,,, तू है और मै हु,,,फसाना इश्क़ का हमारा अब तक लिखा ना हो,,, और परेशा हु मैं इस बात से,,,कही नाराज़ तो नही तू मुझसे,,, यार मुझे तुझे समझने का मौका भी अब तक ना मिला,,,, ©Faiz Khan

#कविता #holdinghands  जिसकी तलाश में अरसे से हैं,,,
ना प्यार वो सच्चा मिला, ना यार वो पक्का मिला,,,
शायद आमाल ही मेरे अच्छे ना थे,,,
इसलिए हमसफर भी वो नेक दामन ना मिला,,,

ज़िक्र में उस रब के मसरूफ है,,,
इबादत में उसके मशगूल है,,,
कोई तो सज़दा कुबूल होगा बारगाह में उसके,,,
के इलाही मुझे मेरे आसुओं का सिला अब तक ना मिला,,,

हात दुआओं में,,,एक धुंधली सी तसवीर निगाहों में,,,
के तलाश-ए-तस्वीर में पता उसका का अब तक ना मिला,,,

ना तुम मिले,,,ना साथ तुम्हारा मिला,,,
बात हो मुहब्बत की वो वक्त भी ना मिला,,,
तुम्हे अपना कह सके ये हक भी अब तक ना मिला,,,

इश्क़ ही शायद तकदीर में ना हो,,,
लकीर तेरे नाम की हथेली पर ना हो,,,
तू है और मै हु,,,फसाना इश्क़ का हमारा अब तक लिखा ना हो,,,

और परेशा हु मैं इस बात से,,,कही नाराज़ तो नही तू मुझसे,,,
यार मुझे तुझे समझने का मौका भी अब तक ना मिला,,,,

©Faiz Khan
Trending Topic