मुज़फ्फ़रपुर वाली ठंड, बटलर का कुहासा
वो पावर हाउस चौक पर, माड़िपुर की भाषा
वो एल. एस. का ग्राउंड, वो कन्हाई भाई का ढाबा
वो राजू भाई की चाय, अपने चरितर बाबा
वो लेनिन चौक की मस्ती, वो बंसी का इरादा
वो छाता चौक के आगे, ठंडा समोसा सादा
वो कलमबाग चौक की बातें, वो अघोरिया बाजार की मुलाकातें
वो मिठनपुरा के दर्शन, भगवानपुर हनुमान मंदिर में भजन कीर्तन
वो रामदयालू के सड़क पे रफ्तार का दिखाना, वो बातो हीं बातों में पटना पहुंच जाना
कभी-कभी पैसे की कड़की, वो ऑटो में बैठी लड़की
वो कौन किसको मारा, बादल का ऑटो भाड़ा
एक बाइक पे चार लोडिंग, खर्चे के लिए वोटिंग
वो लेट घर पे जाना, वो पापा का सुनाना
वो पढ़ने का बहाना, मम्मी का सबकुछ समझ जाना
वो सुबह पांच बजे वाली ट्यूशन, वो दोस्तों के घर का फंक्शन
तुम बिन ऐ दोस्तों, सब कुछ है आधा आधा
फिर से वो लाइफ़ जी लूँ, है बस यही इरादा
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