किस्मत ने भी कैसा खेल खेला,
हर बार उसने मुझे किया अकेला।
मिले तो हम दोनो थे,
पर कभी हालात की वजह से छूट गए,
तो कभी किसी के साथ की वजह से।
कभी कह नहीं पाए उनसे,
की क्या हो तुम मेरे लिए।
मेरी ख्वाहिशें, मेरी आरज़ू, मेरे दिन, मेरी रात,
सब थी तुम मेरे लिए।
हाँ आज भी याद हो तुम,
मेरी हर खयालों में एक ख़्वाब हो तुम।
मेरी दिन की पहली और रात की आखरी याद हो तुम।।।।
© GURU
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