कभी तू सौं खवोंदी छै, गढ़वाली मुक्तक विधाता छंद {Pankaj Bindas}
वक्त सबसे बड़ू हूंद, वक्त ही हूंद जू कबारी इंसान तैं हसोंदु अर अगला ही पल रुळै द्यूंद। माया का सर्ग पर भी यु वक्त कू नीयम काम करदु किलैकि वक्त सबसे बड़ू हूंद। माया का सर्ग पर तबारी बादळ अछांया रांद त तबारी निरपट घाम रांद, तबारी जूनि की स्योळी रांद त तबारी गिगराट होंद, तबारी ग्रह-नक्षत्र रांद त तबारी नखरी चाल चलकदि। मायादार सदानी दगड़ा मा रोण का वास्ता कै सौं-करार करदा पर समाज से ऐंच नीं उठी सकदा, समाज का बीच मा साफ-सुथुरु रोण का वास
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