नदी में कंकड़ फेक फिर एक दुआ मांगी है मैंने,
कोशिशो के सागर से धैर्यता की गहरायी चाही है मैंने,
अभी लहरो सा उतार -चढाव नही देखा है मैंने,
हल्के -हल्के से अभी हाथो को दरिया में डुबोया है मैंने....
श्रेयशी....
अगर इंतहा 'जिंदगी' है तो परिणाम को 'मुस्कुराहट' कहेंगे ,
दफन करना नही ख्वाहिशो को दिल मे,'हकीकत' आंखों से कहेंगे..
करनी हो तो कर लो गुफ़्तगू मेरे अल्फाज़ो से ,मेरा मिज़ाज मेरी 'मुस्कुराहट' बया करेंगे.
मेरे हर्फ़ कहेंगे नही तुमसे सब कुछ,मेरी आँखें ही हर दफा राज़ -ए-बयां कहेंगे ..
s. m
खैर....
चैन छीन ली है तुम्हारी चमक ने और कहते हो मैं तो ऐसा ही हूँ,,
कितने फासले है हमारे दरमियाँ और तुम कहते हो मुनासिफ भी है..
जिंदगी मौत सी बन गयी है और पूछते हो सब खैरियत तो है...
हज़ारो तारो में मग़रूर तुम ,तुम्हारा हर अंतरा मेरा ही तो है.....#चाँद
श्रेयशी
खैर....
चैन छीन ली है तुम्हारी चमक ने और कहते हो मैं तो ऐसा ही हूँ,,
कितने फासले है हमारे दरमियाँ और तुम कहते हो मुनासिफ भी है..
जिंदगी मौत सी बन गयी है और पूछते हो सब खैरियत तो है...
हज़ारो तारो में मग़रूर तुम ,तुम्हारा हर अंतरा मेरा ही तो है.....#चाँद
श्रेयशी
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