कितने दिनों बाद तुम्हारे शब्द याद आ गये
मानो जैसे कि तुम सामने आ गयी
और मैं फिर से तेरे मोहब्बत में डूब गया ,
ऐ इश्क़ अब तू ही बता कि क्या करना है मुझे
क्योंकि दिल दिमाग तो पता नही कहा खो गया ।।
गलती
उसको जानने की गलती की है
उसको मानने की गलती की है
उसे पाने की गलती की है
उसको मनाने की गलती की है
उससे दिल लगाने की गलती है
उसकी यादें को सँवारे रखने की गलती की है
गलतियों को गिनवाने की गलती की है
पर
मैने तो बस एक ही गलती है
कि उसको बार बार चाहने की गलती की है...
उसकी रास्ते तो अलग थी,पर मेरे साथ चलती थी !
जब रास्ते एक ही थे,तो सफर अलग हो गया !!
मंजिल तो देखिये जनाब !
जहाँ जाना था उसे ,वो रास्ता भी दरिया बन गया !!
और
उस दरिया में समंदर का जहाज बना के निकल पड़ी
जैसे
मेरे राह में भी दरिया आ गयी
और
वो मेरे साथ सफ़र बनकर चलती रही .....!!!
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