White जिंदगी की ख्वाहिशों में जिंदगी जाती रही।
इस तरह घेरा गमों ने हर खुशी जाती रही।।
जब से फेर ली हैं नज़रे उसने मेरे वास्ते।
दिल से मेरे अब वो आशिकी जाती रही।।
बदले बदले से हैं मेरे चेहरे की रौनाइयाँ।
हुस्न की नुमाइश में ये सादगी जाती रही।।
तेरे होने से था मेरे, इस गुलशन में बहार।
बाद तेरे इस चमन की रोशनी जाती रही।।
पहले था सरापा मैं, हिर्स हवस का पुतला।
तेरे नज़रे करम से सब तिरगी जाती रही।।
जबसे पिलाई है मुझको, नज़र से बाखुदा।
उस घड़ी से मेरी सब तिशनगी जाती रही।।
"सानी" कैसे सुनाए सरे ए महफिल दास्तां।
सिल गए लब और बे साख्तगी जाती रही।।
(Md Shaukat Ali "Saani")
©Saani
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