भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं।चीन तेरे कर्मों का फल हिन्दुस्तानी भोग रहे हैं। परिजन रो रहे हैं घर में। पुत्र प्रदेश में भूखे ही सो रहे हैं। चीन खाया तूने और हाथ हम धो रहे हैं। अमीर, धो रहे हाथ सैनिटाइजर से गरीब साबुन को रो रहे हैं। भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं।चीन तेरे कर्मो का फल। हिंदुस्तानी भोग रहे। सूनी हो गयी सड़कें सूनी हर एक हाट है। कोरोना तेरे कारण मेरे भारत का हाल बेहाल है। ठप हो गए हैं काम धंधे सुने मंदिर के द्वार है। अस्पताल में बैठे हैं जो। वही मेरे भगवान है। भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं। चीन तेरे कर्मों का फल हिंदुस्तानी भोग रहे। ना तेरी कोई औषधि है ना तेरी कोई दवा यहां क्यों आफत मचा रहा है? हो जा यहां से हवा। क्या दुश्मनी है तेरी? इंसान से क्यों एक दूजे में तू भाग रहा। साबुन और सैनिटाइजर से डर कर क्यों हाफ रहा। ना जाएंगे रण मे। ना कोई अस्त्र उठाएंगे। घर में बैठे रहकर ही। तुझको मार भगायंगे भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे चीन तेरे कर्मों का फल हिंदुस्तानी भोग रहे।writing by dev jhak
फागुन की मस्ती लायी है ये होली
भीगा है हर लहंगा, हर चोली..
डूबे है सभी मस्ती में आज
घूम रही है मस्तानो की टोली
भूल जाओ गीले शिकवे डुबो मस्ती में
आज हर जुबान यही गीत है बोली
रंग ले खुद को इन खूबसूरत रंगों में
आ गयी है फिर तुम्हे भिगोने ये होली
हैप्पी होली की हार्दिक शुभकामनाएं
dj_offcial
घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, यह रात। याद दिलाती है घर की। मां के प्यार की। पापा की डांट की। वह दादी मां की कहानियां। जो लगती थी बड़ी सुहानी। भाई की मस्ती और। बेना की हंसी। याद आता है मुझे घर। तो उठ बैठ लिखता हूं कुछ पल। लिखते लिखते रुक जाती है मेरी कलम। जब याद आती है मेरे खेत की फसल।
प्यार का तोहफा बहुत ही निराला था मैंने संजोया था सपना एक बहुत ही प्यारा था लेकिन उन्हें रास नहीं है मेरा प्यार क्योंकि तोहफा बहुत ही पुराना था क्योंकि वह तोहफा ग़ालिब का गुलदस्ता था
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