Ravi Srivastava

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कैसे मीठे बोल निकलते ! मुँह ही जहर की थैली है !! खुद का ही दिल मैला है, और कहते गंगा मैली है !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ©Ravi Srivastava

#कविता  कैसे मीठे बोल निकलते !
मुँह ही जहर की थैली है !!

खुद का ही दिल मैला है,
और कहते गंगा मैली है !!


✍️✍️
रवि श्रीवास्तव

©Ravi Srivastava

कैसे मीठे बोल निकलते ! मुँह ही जहर की थैली है !! खुद का ही दिल मैला है, और कहते गंगा मैली है !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ©Ravi Srivastava

14 Love

✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ©Ravi Srivastava

#कविता  ✍️✍️
रवि श्रीवास्तव

©Ravi Srivastava

✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ©Ravi Srivastava

15 Love

अभी बाकी मेरी उड़ान बहुत ! आँख में चुभता आसमान बहुत !! -------------------------------- तुम मुसाफिर ही आसमान की हो ! तुम परिंदो के खानदान की हो !! ------------------------ शुभ गुरुवार ( रवि श्रीवास्तव ) 🙏 ©Ravi Srivastava

#कविता  अभी बाकी मेरी उड़ान बहुत !
आँख में चुभता आसमान बहुत !!

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तुम मुसाफिर ही आसमान की हो !
तुम परिंदो के खानदान की हो !!

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शुभ गुरुवार 
( रवि श्रीवास्तव )
🙏

©Ravi Srivastava

अभी बाकी मेरी उड़ान बहुत ! आँख में चुभता आसमान बहुत !! -------------------------------- तुम मुसाफिर ही आसमान की हो ! तुम परिंदो के खानदान की हो !! ------------------------ शुभ गुरुवार ( रवि श्रीवास्तव ) 🙏 ©Ravi Srivastava

13 Love

अब यहीं ठौर है, अब यहीं ठाँव है, अब यहीं धूप है, अब यहीं छाँव है !! अब यहीं का मुक़्क़मल, निवासी हूँ मैं, आखिरी अब ठिकाना यही गाँव है !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ( गाँव माचा, जनपद बस्ती ) ©Ravi Srivastava

#कविता  अब यहीं ठौर है,
अब यहीं ठाँव है,
अब यहीं धूप है,
अब यहीं छाँव है !!
अब यहीं का मुक़्क़मल,
 निवासी हूँ मैं,
 आखिरी अब ठिकाना
  यही गाँव है !!

✍️✍️
रवि श्रीवास्तव 
( गाँव माचा, जनपद बस्ती )

©Ravi Srivastava

अब यहीं ठौर है, अब यहीं ठाँव है, अब यहीं धूप है, अब यहीं छाँव है !! अब यहीं का मुक़्क़मल, निवासी हूँ मैं, आखिरी अब ठिकाना यही गाँव है !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ( गाँव माचा, जनपद बस्ती ) ©Ravi Srivastava

15 Love

तन्हा इस कदर हो गया हूँ मैं ठूँठ सा शज़र हो गया हूँ मैं एक दर भी ना खोज पाया मैं, इतना दरबदर हो गया हूँ मैं सबके दिल से उतर गया हूँ मैं ऐसा लगता है मर गया हूँ मैं छान कर ख़ाक सारी दुनियां का, बाद मुद्दत के घर गया हूँ मैं अब मुखौटों में छिपे हैं चेहरे, देखकर जिसको डर गया हूँ मैं एक हरसिंगार फूल सा जैसे, सुबह होते ही झर गया हूँ मैं आस का दीप जलाकर कब से, साँझ के पुल पे धर गया हूँ मैं रहगुज़र बेबसी के सारे वे, उनसे कब का गुज़र गया हूँ मैं मौत को याद करके लगता है, जैसे जीवन से भर गया हूँ मैं ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ©Ravi Srivastava

#कविता #Hope  तन्हा इस कदर हो गया हूँ मैं 
ठूँठ सा शज़र हो गया हूँ मैं 

एक दर भी ना खोज पाया मैं,
इतना दरबदर हो गया हूँ मैं 

सबके दिल से उतर गया हूँ मैं 
ऐसा लगता है मर गया हूँ मैं

छान कर ख़ाक सारी दुनियां का,
बाद मुद्दत के घर गया हूँ मैं 

अब मुखौटों में छिपे हैं चेहरे,
देखकर जिसको डर गया हूँ मैं

एक हरसिंगार फूल सा जैसे,
सुबह होते ही झर गया हूँ मैं 

आस का दीप जलाकर कब से,
साँझ के पुल पे धर गया हूँ मैं 

रहगुज़र बेबसी के सारे वे, 
उनसे कब का गुज़र गया हूँ मैं 

मौत को याद करके लगता है,
जैसे जीवन से भर गया हूँ मैं

✍️✍️
रवि श्रीवास्तव

©Ravi Srivastava

#Hope

11 Love

Unsplash भूँख, प्यास, रातों की नींद से,लड़ना होगा ! 'आफिसर' बनना है तो फिर,पढ़ना होगा !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ( प्रवक्ता, हिन्दी भाषा एवं साहित्य ) ©Ravi Srivastava

#कविता #Book  Unsplash भूँख, प्यास, रातों की नींद से,लड़ना होगा !
'आफिसर' बनना है तो फिर,पढ़ना होगा !!


✍️✍️
रवि श्रीवास्तव 
( प्रवक्ता, हिन्दी भाषा एवं साहित्य )

©Ravi Srivastava

#Book

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