Anushka Vishwakarma

Anushka Vishwakarma Lives in Mumbai, Maharashtra, India

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एक औरत की जिंदगी इन्ही पन्नो की तरह होती है जो दिल लगा के पढ़ा तो सब समझ आयेगा, वरना उसे बेकार समझ छोड़ दोगे औरत चाहे जो करले उसे मिलता वो नही जो वो चाहती है, सम्मान और प्यार कभी बेटी बन के माँ बाप के सपनो को सजाती है, उन्ही के लिए हर मुंकिन कोशिस करती है। फिर बीवी बनके पति की सम्मान को सजाति है, कभी बहु , भाभी, और भी रिश्ते सबको संजोति है सोचती है सब अच्छा होगा, हर इंशान एक सा तो नही होता, पर हर इंशान, इंशान तो होता है न जिसमे गलती करने और माफी मागने, या माफ करने की, छमता होती है, फिर भी क्यों गलतफहमी की दीवार से रिश्ते दूर हो जाते है, मन के भीतर कही एक कड़वाहट पनक जाती है, एक ही बार मे पूरी जिंदगी बदल जाना आसान नही होता, हर किसी को समझने की कोसिस तो करनी चाहिए, एक हाथ के बदले दूसरा हाथ बढ़ाना चाहिए, फिर ही सब सहज सा होगा, रिश्ते नाजुक होते है, और जहा मन अच्छा हो वह रिश्तों को समय पे नही छोड़ा जाता, ©Anushka Vishwakarma

#विचार #Books  एक औरत की जिंदगी इन्ही पन्नो की तरह होती है
जो दिल लगा के पढ़ा तो सब समझ आयेगा, 
वरना उसे बेकार समझ छोड़ दोगे
औरत चाहे जो करले उसे मिलता वो नही जो वो चाहती है, 
सम्मान और प्यार
कभी बेटी बन के माँ बाप के सपनो को सजाती है, उन्ही के लिए हर मुंकिन कोशिस करती है। 
फिर बीवी बनके पति की सम्मान को सजाति है, 
कभी बहु , भाभी, और भी रिश्ते सबको संजोति है
सोचती है सब अच्छा होगा, 
हर इंशान एक सा तो नही होता, पर हर इंशान, इंशान तो होता है न
जिसमे गलती करने और माफी मागने, या माफ करने की, छमता होती है, 
फिर भी क्यों गलतफहमी की दीवार से रिश्ते दूर हो जाते है, मन के भीतर कही एक कड़वाहट पनक जाती है, 
एक ही बार मे पूरी जिंदगी बदल जाना आसान नही होता, हर किसी को समझने की कोसिस तो करनी चाहिए, एक हाथ के बदले दूसरा हाथ बढ़ाना चाहिए, फिर ही सब सहज सा होगा,
रिश्ते नाजुक होते है, और जहा मन अच्छा हो वह रिश्तों को समय पे नही छोड़ा जाता,

©Anushka Vishwakarma

#Books

11 Love

कई सवालों से मुह मोड़ा मैंने कई इलजामो से भागी-सी थी मै खुश करना चाहा हर इंशान को पर दुखी आज मेरी परछाई हो गई(परछाई खुदसे) इस भीड़ मे मैं कही अकेली हो गई गैरो से तो वाक़िफ़ थी मै दर्द तो आज अपने ही आप से मिलकर हुआ ©Anushka Vishwakarma

#समाज #selflove  कई सवालों से मुह मोड़ा मैंने
कई इलजामो से भागी-सी थी मै
खुश करना चाहा हर इंशान को
पर दुखी आज मेरी परछाई हो गई(परछाई खुदसे) 
इस भीड़ मे मैं कही अकेली हो गई

गैरो से तो वाक़िफ़ थी मै
दर्द तो आज 
अपने ही आप से मिलकर हुआ

©Anushka Vishwakarma

मेरी कविता मेरी कहानी #selflove

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