White एक चिड़िया है जिसे क़ैद किया गया है।
माना खाने-पीने को सब कुछ दिया गया है,
हर एक दाने की क़ीमत बताई गई है उसको,
उसकी पहचान बार-बार याद दिलाई गई है उसको।
शर्तें हैं बस कुछ सबकी। थोड़ा-थोड़ा सा ही उड़ना है,
जितना वो कहें बस उतना ही आसमां छूना है।
देख लो चाहे जितना आसमां घोंसले से झाँक कर,
उस घोंसले के बाहर हर क़दम का हिसाब उन्होंने रखना है।
बस अब क्या, उस चिड़िया ने तो रोज़ बिखरना है...
पहले बारिश देखकर खुश होती थी वो,
अब तूफ़ान का इंतज़ार करती है वो।
टूट जाए घोंसला तो क्या ग़म है, एक ऊँची उड़ान तो भरूंगी।
देखूं, क्या आसमान में मुझसे ज़्यादा दम है?
हिसाब-किताब से परे उड़ान होगी उसकी,
एक अलग सी ही पहचान होगी उसकी...
ख़्वाहिशें अभी ज़िंदा हैं, और ख़्वाहिशों का ही नाम परिंदा है।
©Payal Suri Sabharwal
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