सच में जीत गया या हार गया
धोखे खाते हुए भी एक पल सोचता था कि
उसके साथ कुछ गलत ना हो जो मेरे साथ गलत कर गया बेईमानों की टोली में सवार है,वो आज कल का ही बना है बेईमान
ईमान बेचकर घर चलता है जिनका उनके साथ बैठा हुआ सोचता है कि
उसके साथ कभी नहीं होगा ये अंजाम
वैसे तो हर कदम से पहले 100 बार सोचता था जो ,
एक खुशी के पीछे 100 खुशी गवा बैठा
मैंने ऐसे भी देखा है एक पागल इंसान
#onenight हर बार मेरा नसीब ये ही होता है
मेरी कमियो से मेरी अच्छाइयों को भुला देना होता है
फ़िर मेरी पूरी कोशिश फीकी पड़ जाती है
मेरी दोस्ती की आखिरी मंजिल ये है की
मेरे चाहने वालो ने अक्सर मुझे छोड़ देना होता है
फिर मेरा साथ बस एक किरदार बनके रह जाता है
मैं भी तो इंसान हूं कोई मुझे भी तो समझे
क्यों हर कहानी में मुझे ही बस बुरा होना होता है
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