क्या याद है तुम्हे वो एक कप कॉफी,
दे जाती थी हमें कितनी सारी खुशी,
जब मिलते थे कभी मुस्कुराते हुए आप,
और ऑफर करते थे वो कॉफी का कप,
हम कहते थे, हॉट है हम पी नहीं सकेंगे,
और आप कितने प्यार से फूंक मार के जरा ठंडा करते,
हम कहते थे थोड़ी फीकी है और आप कितने प्यार से,
छू लेते अपने होठों से और कहते लीजिए हो गई मीठी,
फिर दोनो खुशी खुशी एक दूसरे को पिलाते थे,
कितना खूबसूरत ख्वाब था जिसे हकीकत बनाना था,
जाने किसकी लग गई नजर अब लगता सब जूठा फसाना था,
ना कॉफी का कप है ना हसती हुई सुबह,
है तो बस तन्हाई,सिसक,इंतजार, और आपकी यादें, विथ कॉफी का कप।
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©Dip.The shayar.
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