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Mr Parikh Maulik
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तुम्हें ढूँढा बहोत था हमने पर तुम चली गई हम तारीख़ों मे तुम्हें ढूंढते थे तारीखें चली गई हाथो की लकीरों मे ढूंढते थे लकीरें चली गई तुम्हें ढूँढा बहोत था हमने पर तुम चली गई हम रास्ते पर ढूँढा था तुम्हें वो गलियाँ चली गई सब पीछे छोड़कर आए थे वो तारीख चली गई तुम्हें ढूँढा बहोत था हमने पर तुम चली गई खुदा के घर पर गए थे खुदा की खुदाई चली गई रहम तो आया होंगा हम पर रहमदिली चली गई तुम्हें ढूँढा बहोत था हमने पर तुम चली गई हमारे प्यारों के आँखों में नमी थी नमी चली गई तुम्हें ढूँढा बहोत था हमने पर तुम चली गली ©Mr Parikh Maulik
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तुम ना आओ तो कोई ग़म नहीं हमने दर्द को अपना बिस्तर बना लिया है मुह छुपाने के लिए जगह तो नहीं मगर हमने तकिये को आंचल बना लिया है अब तेरी यादों मे मरते तो नहीं पर यादों को जीने का जरिया बना लिया है अब हर रोज तुम्हें देखते तो नहीं पर यादों में देखने का नजरिए बना लिया है खुद को हमने बदला तो नहीं पर खुद को कुछ तुम्हारी तरह बना लिया है ©Mr Parikh Maulik
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