परिंदा

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गर नज़र कुछ कहे तो कहने दो मैं तो चुप हूँ बस चुप रहने दो ©जितेंद्र वर्मा https://youtube.com/@parinda-ok5li?si=vmJIwdu9SU1M2i0-

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Unsplash जो नज़रे उठाता है, वो तेरी विशालता में खो जाता है, अ आसमां अब तू ही बता, तुझमें खोकर कोई किधर जाता है? ©परिंदा

#leafbook  Unsplash जो नज़रे उठाता है,
वो तेरी विशालता में खो जाता है,
अ आसमां अब तू ही बता,
तुझमें खोकर कोई किधर जाता है?

©परिंदा

#leafbook

15 Love

Unsplash आते रहना,,,तुम,,, अपनी ड्योढी पर सदा कुछ आंखे,,, प्रतीक्षा में कभी बूढ़ी नहीं होती ©परिंदा

#leafbook  Unsplash आते रहना,,,तुम,,,
अपनी ड्योढी पर सदा
कुछ आंखे,,, प्रतीक्षा में
कभी बूढ़ी नहीं होती

©परिंदा

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13 Love

Unsplash छूने को ए आसमां,जी चाहता है। खेलूं तेरे साथ,जी चाहता है। खोने को कुछ नहीं, ना पाने की लालसा, तेरी तरह रिक्त होने को,जी चाहता है। तेरे अंश सा मेरा तन और मन तुझसा फिर हो जाऊं,जी चाहता है। ©परिंदा

#leafbook  Unsplash छूने को ए आसमां,जी चाहता है।

खेलूं तेरे साथ,जी चाहता है।

खोने को कुछ नहीं,

ना पाने की लालसा,

तेरी तरह रिक्त होने को,जी चाहता है।

तेरे अंश सा मेरा तन और मन 

तुझसा फिर हो जाऊं,जी चाहता है।

©परिंदा

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16 Love

Unsplash दिल से दुआ उनको जो करीब हैं और उनको भी जो करीब होकर भी बहुत दूर हैं। ©परिंदा

#leafbook #Quotes  Unsplash दिल से दुआ उनको
जो करीब हैं
और उनको भी
जो करीब होकर भी
बहुत दूर हैं।

©परिंदा

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13 Love

Unsplash शक-ओ- शुबह नहीं तेरे जमाल पर पर मिटे गम ओ अब्र कुछ कमाल कर ©परिंदा

#leafbook  Unsplash शक-ओ- शुबह नहीं तेरे जमाल पर
पर मिटे गम ओ अब्र कुछ कमाल कर

©परिंदा

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16 Love

Unsplash आ रहा हूँ आपको जगाने सुकून भरे पलों से उस गहरी नींद से जो बहकाये है मन अलसाये है प्रकृति रस से नैसर्गिक सौन्दर्य से दूर करे है। मैं भी तो जागा हूँ सतत… तुम भी जागो मेरे संग-संग चलो उस पथ पर जिस पर रचनाकार का तिलिस्म है अनोखा आनन्द है चोखा। ©परिंदा

#leafbook  Unsplash आ रहा हूँ 
आपको जगाने
सुकून भरे पलों से
उस गहरी नींद से
जो बहकाये है
मन अलसाये है
प्रकृति रस से
नैसर्गिक सौन्दर्य से
दूर करे है।

मैं भी तो जागा हूँ
सतत…
तुम भी जागो
मेरे संग-संग
चलो उस पथ पर
जिस पर रचनाकार का
तिलिस्म है अनोखा
आनन्द है चोखा।

©परिंदा

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