भाव थे असंख्य थे ; लेकिन मैंने उसे शब्द नहीं दे पा | हिंदी Poetry

"भाव थे असंख्य थे ; लेकिन मैंने उसे शब्द नहीं दे पा रहा। यह सोच कर कि शब्द ,भाव का भार वहन न कर सकेगी। मुझे प्रतीत हो रहा था ; कल हर बाते महज शब्द बनकर ही जायेगी । ... ©Krishna ka kavya"

 भाव थे असंख्य थे ;
लेकिन मैंने उसे शब्द नहीं दे पा रहा।
यह सोच कर कि
शब्द ,भाव का भार वहन न कर सकेगी।
मुझे प्रतीत हो रहा था ;
कल हर बाते महज शब्द बनकर ही जायेगी ।














...

©Krishna ka kavya

भाव थे असंख्य थे ; लेकिन मैंने उसे शब्द नहीं दे पा रहा। यह सोच कर कि शब्द ,भाव का भार वहन न कर सकेगी। मुझे प्रतीत हो रहा था ; कल हर बाते महज शब्द बनकर ही जायेगी । ... ©Krishna ka kavya

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