मैं सोचता नहीं लिख देता हूँ,जाने क्यूँ शब्द जेहन में आते जाते हैं उन्हें लिखता जाता हूँ,कभी-कभी मैं खुद भी हैरान हो जाता हूँ कि क्यूँ लिखता हूँ?बहुत कुछ कहना होता है खुदसे और लिखता जाता हूँ,कुछ अपनी आपबीती लिखता हूँ,कुछ दर्दोगम लिखता हूँ,कुछ अनकही दास्तां लिखता हूँ,कुछ लोगों के मुझे कम आँकने का जवाब लिखता हूँ,भले ही लोग मुझे अपूर्ण समझें पर लेखन से मैं खुद को सम्पूर्ण पाता हूँ,हाँ मैं पूर्ण हूँ ये मैं नहीं मेरी कलम मुझसे कहती है।
©Abhay Shukla
अभय और अभय की कलम दोनों चलते हैं बाबा महादेव की कृपा से ...