वरदान उस आसमान थी जो अपना पास का टिकी हुई थी पास म | हिंदी Poetry Vide

"वरदान उस आसमान थी जो अपना पास का टिकी हुई थी पास मै ऐसा एहैसहसा थी नजर अंदाज भी था समझ और रिश्ता कि डोर भी था बगीचा भी था मालि भी थी पापा भी थी ममी भी थीं हौसला के कंधा झुकी हुई थी लेकिन मन कि दरवाजा जब खुल गई तब अंजनत की खिड़की सुलझ गई। ©Niranjan Mahapatra "

वरदान उस आसमान थी जो अपना पास का टिकी हुई थी पास मै ऐसा एहैसहसा थी नजर अंदाज भी था समझ और रिश्ता कि डोर भी था बगीचा भी था मालि भी थी पापा भी थी ममी भी थीं हौसला के कंधा झुकी हुई थी लेकिन मन कि दरवाजा जब खुल गई तब अंजनत की खिड़की सुलझ गई। ©Niranjan Mahapatra

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