White सोचता हूँ हम बच्चे ही अच्छे थे
इरादों के पक्के , वादों के सच्चे थे
तब दिल के जगह खिलोने टूटते थे
बस ख्वाबों में अपनों के साथ छुटते थे
आज कल मुस्कराना भी बहाना हो गया
ठीक से खाए ज़माना हो गया
तब चैन की नींद आती थी माँ के आँचल में
अब हर रात जागते रहने का अफसाना हो गया
आज कल हर कोई हमसे उम्मीद लगाता हैं
इंसान बस औरत की जवानी का मुरीद हो जाता हैं
कहाँ मिलते हैं आज वोह दोस्त पुराने
जिनके साथ थे जीवन के दिन कितने सुहाने
लिखता हूँ अपने अल्फाज़ों से बचपन की कहानी
जब हम दिल और दिमाग़ दोनों से कच्चे थे
आज कल सब जलते हैं एक दूसरे की क़ामयाबी
तब हमारे कम ख़र्चे में हर गली में चर्चे थे
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©Sethi Ji
💗💗 बचपन का ज़माना 💗💗
💗💗 बचपन का दीवाना 💗💗
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